एक ओर जहां वीआईपी कल्चर खत्म करने के लिए हर राज्य सरकार कुछ न कुछ रोज ऐलान कर रहीं हैं वहीं हमारे माननीय लोकसभा और राज्यसभा सांसद इसके लिए परेशान नजर आ रहे हैं. हमारे माननीय सांसद चाहते हैं कि एयर इंडिया की तरह प्राइवेट एयरलाइंस भी उन्हें 'महाराजा' की तरह यात्रा कराए.
बताया जाता है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय चाहता है कि लोकसभा और राज्यसभा के करीब 800 सासंदों को निजी एयरलाइंस शाही सुविधाएं दें. मतलब साफ है कि सांसद चाहते हैं कि उन्हें फ्री में खाना पीना मिले और उनके साथ ऐसा कुछ किया जाए, जिससे यह लगे कि वह वीआईपी हैं.
सांसदों को विशेष सेवा देने की व्यवस्था पिछले तीन साल से लागू है, लेकिन नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने सभी एयरलाइंस को जारी निर्देश में कहा है कि हवाई अड्डे और विमानन कंपनियां शिष्टाचार की इस व्यवस्था का अनुपालन नहीं कर रही हैं.
हालांकि इस निर्देश पर हल्ला मचने के बाद नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने तुरंत सफाई देते हुए कहा कि ऐसा कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किया गया है. मंत्रालय ने कहा कि निजी विमानन कंपनियों को मंत्रियों और सांसदों को विशेष शिष्टाचार सुविधा देने के बारे में कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किया गया है.
किसी ने सराहा, किसी ने नकारा
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सांसदों को विशेषाधिकार देने के लिए केंद्र द्वारा विमानन कंपनियों को निर्देश दिए जाने की आलोचना करते हुए कहा कि यह वास्तविकता से दूरी दर्शाता है. उमर ने ट्विटर पर लिखा कि इस राजनीतिक माहौल में वीआईपी लोगों के लिए विशेषाधिकारों की मांग करना वास्तविकता से विशेष किस्म की दूरी दिखाता है.
कांग्रेस सांसद संजय निरूपम ने कहा कि वह ऐसी किसी पहल का समर्थन नहीं करते.
उन्होंने कहा कि मुझे आम आदमी की तरह यात्रा करना ज्यादा अच्छा लगता है. इसके अलावा हमारे सांसदों को वैसे भी एक्जक्यूटिव क्लास के टिकट मिलते हैं. यदि उन्हें इससे भी ज्यादा कुछ चाहिए तो मुझे लगता है कि यह आवश्यक नहीं है.
हालांकि भारी उद्योग मंत्री प्रफुल्ल पटेल को इस निर्देश में कोई गलती नहीं दिखती. उन्होंने कहा कि यदि किसी सांसद को थोड़ी सी विशेष सुविधा दी जाती है, थोड़ी इज्जत दी जाती है तो मुझे नहीं लगता कि इस पर कोई बखेड़ा खड़ा होना चाहिए. माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि उन्हें इस आदेश में कुछ विशेष नहीं दिखता, क्योंकि सांसदों को वैसे भी विशेष सुविधा मिलती है.