केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि भगोड़ा आर्थिक अधिनियम-2018 के तहत जिन 7 व्यक्तियों के खिलाफ आवेदन दाखिल किए गए उनके संदर्भ में 14,461 करोड़ रुपये की संपत्तियों की कुर्की या जब्ती की कार्रवाई की गई है. लोकसभा में शिशिर कुमार अधिकारी के एक सवाल के लिखित जवाब में वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने सदन को यह जानकारी दी. विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे आर्थिक अपराधियों के देश छोड़कर भाग जाने के बाद सरकार इसी साल भगोड़ा आर्थिक अपराधी बिल लेकर आई थी, जिसे संसद के दोनों सदनों से मंजूरी दी चुकी है.
मंत्री ने लोकसभा में कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से सक्षम अदालत में 7 व्यक्तियों के खिलाफ भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम-2018 के तहत 7 आवेदन दाखिल किए गए. भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम-2018 के तहत किसी परिसंपत्ति को जब्त नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि इन 7 व्यक्तियों के संदर्भ में धनशोधन निवारण अधिनियम-2002 के तहत 14,461 करोड़ रुपये की संपत्तियों की कुर्की या जब्ती की गई है.
क्या कहता है कानून
संसद के दोनों सदनों में बैंकों के करोड़ों रुपये लेकर विदेश भागने वाले नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या जैसे आर्थिक अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून को पारित किया था. इस बिल में ऐसे भगोड़ों की संपत्ति जब्त करने का प्रावधान है. साथ ही बैकों से कर्ज के तौर पर लिया गया पैसा वसूल करने के अन्य उपाय भी इस बिल में किए गए हैं.
सरकार इसके लिए पहले से ही अध्यादेश लेकर आई थी जिसकी जगह भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून ने ली है. इसमें मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 के तहत एक विशेष कोर्ट के गठन का प्रावधान है. यह अदालत ही किसी डिफॉल्टर को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करेगी. भगोड़ा उन्हें घोषित किया जाएगा, जिनके खिलाफ शेड्यूल्ड ऑफेंस के तहत गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुका हो. जो देश छोड़ चुके हों और वापस आने से इनकार कर रहे हैं.