बिहार के गया मेडिकल कॉलेज में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) और जापानी इंसेफेलाइटिस(जेई) के गंभीर मामले सामने आ रहे हैं. एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम को चमकी बुखार के नाम से भी जाना जाता है.
अस्पतालों में अब तक 33 बच्चे दस्तक दे चुके हैं, जिनमें 18 अभी भी भर्ती हैं. बीते 10 दिनों में 8 बच्चों की मौत भी हो चुकी है. गया में हर साल बारिश की शुरुआत होते ही जेई और एईएस के संदिग्ध मरीजों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है.
इसे लेकर जिला स्तर पर प्रशासनिक और स्वास्थ्य अधिकारी वर्कशॉप में भी भाग लेते हैं, लेकिन तब तक कई बच्चों की मौत के मामले सामने आ जाता है.
बीते 2 जुलाई से ही इन गंभीर बीमारियों के मामले सामने आ रहे हैं. बच्चों के ब्लड सैंपल को आरएमआरआई भेजा जा चुका है, जिसमें पॉजिटिव रिपोर्ट वाले एक बच्चे की मौत गुरुवार को हो गई है. वहीं अन्य बीमारियों के चलते भर्ती बच्चों का इलाज चल रहा है.
इससे पहले दावा किया जा रहा था कि बारिश के चलते एईएस का प्रकोप कम होगा. डॉक्टरों का मानना था कि इसके रोकथाम में दवाओं से ज्यादा बारिश कारगर होगी और 100 से ज्यादा उन बच्चों के लिए मददगार साबित होगी, जिनका इलाज अभी भी अस्पतालों में चल रहा है. उनकी हालत तेजी से सुधारेगी. लेकिन परिस्थितियां अभी तक नहीं सुधरी हैं. बच्चों के बीमार होने का सिलसिला अब तक जारी है.