विवादास्पद आदर्श हाउसिंग सोसाइटी के मुख्य प्रवर्तक और सचिव आरसी ठाकुर ने इस घोटाले की जांच कर रही न्यायिक समिति से कहा है कि करगिल युद्ध से पहले ही इस परिसर के निर्माण का प्रस्ताव था और इसलिये युद्ध नायकों और उनकी विधवाओं के लिये इसे आरक्षित रखे जाने की खबरें झूठी हैं.
ठाकुर रक्षा परिसंपत्ति कार्यालय के पूर्व अधिकारी और इस मामले में एक आरोपी हैं. उन्होंने दो सदस्यीय जांच समिति के समक्ष दायर हलफनामे में कहा, ‘करगिल युद्ध के काफी पहले ही इस सोसाइटी का प्रस्ताव था और इसलिये कारगिल युद्ध के नायकों और उनकी विधवाओं के लिये इसे आरक्षित रखने का कोई प्रश्न ही नहीं था.’ यह शपथ पत्र 18 जनवरी, 2003 को महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी किये गये पत्र के अनुरूप है जिसमें कोलाबा इलाके में बनने वाली इस सोसाइटी के लिये ऐसी कोई शर्त नहीं लगाई गई थी.
हलफनामे में कहा गया है कि इस उंची इमारत को प्रशासन से स्वीकृति मिलने के बाद बनाया गया था. इसमें जोर देकर कहा गया है, ‘सदस्यता के लिये सभी आवेदनों को अनुमति देने से पूर्व सरकार द्वारा बारीकी से देखा गया और पूरी जांच की गई थी.’ ठाकुर ने समिति द्वारा अपने खिलाफ सम्मन जारी किए जाने बाद हलफनामा दायर किया है.
इस समिति की स्थापना राज्य सरकार ने इस वर्ष जनवरी में की थी. समिति को यह देखना है कि क्या यह जमीन करगिल के शहीदों के संबंधियों के लिये आरक्षित थी और क्या तटीय नियमन तथा पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन हुआ है.