आधार मामले में संविधान पीठ में सुनवाई के दौरान पी. चिदंबरम ने याचिकाकर्ता जयराम रमेश का पक्ष रखा. आधार बिल को पास कराने की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ वकील पी. चिदंबरम ने कहा कि आधार को मनी बिल के तौर पर पेश करना गलत था. सरकार ने राज्यसभा में बिल पास होने में आने वाली अड़चनों से बचने के लिए संविधान के साथ ऐसा धोखा किया है. सरकार ने इसे मनी बिल के तौर पर सिर्फ इसलिए लाया ताकि राज्यसभा की छानबीन से बचा जा सके.
चिदंबरम ने कहा कि आधार को मनी बिल के तौर पर पास करने के स्पीकर के फैसले को अदालत में चुनौती दी जा सकती है. दूसरी ओर संविधान पीठ ने आधार की अनिवार्यता की डेडलाइन बढ़ाने पर भी केंद्र को कहा कि आपको ये डेडलाइन बढ़ाने पर जल्द फैसला लेना चाहिए. संविधान पीठ के सदस्य जस्टिस चन्द्रचूड़ ने कहा कि अंतिम तारीख बढ़ाने के फैसले में देरी से लोगों में भ्रम बढ़ेगा और परेशानी होगी. इतना ही नहीं आधार के इस मामले में बैंक समेत कई वित्तीय संस्थान जुडे हुए हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार ने फैसला नहीं लिया तो कोर्ट अगले हफ्ते आदेश जारी करेगा.
इस मामले में अटॉर्नी जनरल के.के वेणुगोपाल ने कहा कि डेडलाइन 31 मार्च में अभी वक्त है. इसे आगे बढ़ाया जाए या नहीं इस बाबत सरकार ब्यौरा इकट्ठा कर सारे पहलुओं को देख रही है. तमाम पहलुओं का अध्ययन करने के बाद सरकार इस पर फैसला लेगी. इस पर कोर्ट ने जोर देकर कहा कि वक्त पर फैसला लिया जाना चाहिए.
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने कहा कि दिसंबर 2015 में संविधान पीठ ने आदेश दिया था कि सिर्फ 6 योजनाओं को आधार से जोड़ा जाएगा, लेकिन अब सरकार ने अपने मन से 35 से ज्यादा योजनाओं की सेवा और सुविधा के लिए आधार को अनिवार्य बना दिया है. ये सबसे बड़ी अदालत के आदेश की अवमानना है, क्योंकि अब सरकार ने इसे सेवाओं के लिए अनिवार्य बना दिया है. ये सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है. कोर्ट को संज्ञान लेते हुए अवमानना नोटिस जारी करना चाहिए.
इस पर AG ने कहा कि तब कानून नहीं था और अब आधार बिल पास हो चुका है, इसलिए आधार कानून बनने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश लागू नहीं होंगे. इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इसके लिए सरकार को स्पष्टीकरण के लिए कोर्ट के पास आना चाहिए था.