लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने जम्मू-कश्मीर से विस्थापित कश्मीरी पंडितों के मुद्दे पर गृहमंत्री अमित शाह से सवाल पूछा. उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह से सवाल किया कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों पर केंद्र सरकार की नीति क्या है. कश्मीरी पंडितों को वापस कब लाया जा रहा है?
अधीर रंजन ने लोकसभा में कश्मीर से जुड़े हुए अन्य मुद्दों पर भी केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की. उन्होंने केंद्र सरकार की कश्मीर नीति पर भी सवाल खड़े किए.
उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह से पूछा कि जबसे आपने सत्ता संभाली है, तब से जम्मू और कश्मीर से जवानों की लाशें आनी कम नहीं हुई हैं. आज शहीदों की संख्या पहले से बढ़ी है. ऐसे में आपकी कश्मीर नीति हमसे ज्यादा कैसे सफल है?
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने गृहमंत्री अमित शाह से यह भी सवाल किया कि आपकी सरकार दाऊद को कब पकड़कर वापस कब ला रही है. हालांकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने अधीर रंजन चौधरी को टोक दिया और उनसे बैठने को कह दिया लेकिन गृह मंत्री ने भी अधीर रंजन के सवालों का जवाब नहीं दिया.
विस्थापितों का जीवन जी रहे कश्मीरी पंडित
बता दें कश्मीरी पंडितों को आज भी विस्थापितों की तरह जीना पड़ रहा है. उन्हें 1989 से 90 के दौरान जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी घटनाएं शुरू होने के बाद उन्हें मजबूरन विस्थापित होना पड़ा. आतंकवादियों के निशाने पर सबसे ज्यादा कश्मीरी पंडित ही रहे. डर की वजह से 1 से 2 लाख कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़नी पड़ी. अपने राज्य से विस्थापित कश्मीरी पंडित देश के अन्य हिस्सों में बसे हुए हैं.
नहीं हो रही कश्मीरी पंडितों की घर वापसी
भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) ने 2014 के घोषणा पत्र में उनकी सुरक्षित वापसी का वादा किया था लेकिन ऐसा हो नहीं सका. सितंबर 2017 में तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने श्रीनगर में ऐलान किया कि कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए घाटी में 6 हजार घर बनवाएगी. लेकिन 3 जगहों पर बनने वाले आवासीय योजना पर क्षेत्रीय दलों और अलगाववादियों के विरोध का सामना करना पड़ा. केंद्र सरकार पिछले 10 सालों में कश्मीरी पंडितों के लिए 3 योजनाएं लेकर आई, जिसमें 2 तो नरेंद्र मोदी सरकार के दौर में ही आई. लेकिन स्थिति जस की तस है.
गृह मंत्री सवालों का नहीं दे रहे जवाब
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गृहमंत्री सवालों का जवाब देने की जगह बात को इधर-उधर घुमाने की कोशिश कर रहे हैं. अगर जम्मू और कश्मीर की परिस्थिति सामान्य है तो राष्ट्रपित शासन की अवधि क्यों बढ़ाने की मांग चल रही है. उन्होंने कहा कि पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(पीडीपी) और बीजेपी जम्मू और कश्मीर में घटे वोट प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है. बात को भटकाने से जम्मू और कश्मीर की परिस्थिति सामान्य नहीं हो जाएगी.
जब जनता कहेगी तब होगा चुनाव
वहीं जम्मू और कश्मीर में चुनाव होने और राष्ट्रपति शासन बढ़ाए जाने पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आज सरकार कश्मीर के लोगों को अधिकार दे रही है और अब तीन परिवारों के पास से निकलकर जनता तक अधिकार जा रहे हैं. शाह ने कहा कि हमने चुनाव में खून की नदियां बहती देखी हैं लेकिन कश्मीर में पंचायत और लोकसभा के चुनाव शांति के माहौल में हुए. आपको नियंत्रण की स्थिति पसंद नहीं आती क्योंकि आपका और हमारा नजरिया अलग है. जिनके मन में कश्मीर में आग लगाने की मंशा है, अलगाववाद की मंशा है, उनके मन में भय है, रहना चाहिए और बढ़ेगा. शाह ने कहा कि जब चुनाव आयोग जब कहेगा हम चुनाव करा लेंगे.