कश्मीर में 60 से अधिक लोगों के मारे जाने के परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सार्वजनिक प्रदर्शनों से निपटने में ऐसे तौर तरीके अपनाने की अपील की, जो घातक न हों.
उन्होंने एक उच्चस्तरीय टास्क फोर्स के गठन की बात भी कही, जो इस मुद्दे पर तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देगी. पुलिस महानिदेशकों और पुलिस महानिरीक्षकों के सम्मेलन में सिंह ने कहा कि हमें भीड़ को नियंत्रित करने लिए ऐसे तौर तरीके अपनाने चाहिए, जो घातक न हों किन्तु प्रभावशाली हों.
उन्होंने कहा कि वह गृह मंत्री पी चिदंबरम से एक उच्चस्तरीय टास्क फोर्स बनाने को कहेंगे, जो भीड़ नियंत्रण के गैर-घातक तौर तरीकों को लेकर दो से तीन महीने में अपनी सिफारिशें देगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्य में उग्रवादी गतिविधियों में हालांकि कमी आयी है लेकिन कानून व्यवस्था चिन्ता का विषय है.
इस साल जून में हिंसक प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए पुलिस कार्रवाई में 63 लोगों के मारे जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों की आलोचना के परिप्रेक्ष्य में सिंह की यह टिप्पणी आयी है. उन्होंने कहा कि दुनिया के अन्य कई देशों ने ऐसे नियम और तौर तरीके अपनाये हैं, जो स्थिति के हिसाब से अलग-अलग होते हैं. {mospagebreak}
भीड़ को नियंत्रित करने में गैर-घातक सफल तौर तरीके अपनाने के मामले में त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि अन्य पुलिस बलों को भी इसका अनुपालन करना चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में पुलिस का कामकाज लगातार पेचीदा हो गया है. कट्टरपंथी समूहों और वामपंथी उग्रवादियों के उभरने से स्थिति और पेचीदा हो गयी है.
उन्होंने कहा कि राज्यों में और सीमा पार आपराधिक और अस्थिरता फैलाने वाली ताकतों के बीच बढ़ रही सांठगांठ के मद्देनजर सुरक्षा एजेंसियों को अधिक सतर्क रहने और समन्वय कायम करने की जरूरत है. सिंह ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया और खुफिया, जांच, तटवर्ती सुरक्षा तथा आतंकवाद विरोधी कार्रवाई के मामले में हमने अच्छी प्रगति की है लेकिन अभी भी हमारे समक्ष अनेक दिक्कते हैं.
नक्सल हिंसा पर उन्होंने कहा कि सरकार उनसे बातचीत करने को तैयार है बशर्ते वे हिंसा का रास्ता छोड़ दें. उन्होंने कहा, ‘हमें पता है कि नक्सली हमारे अपने लोग हैं और हम उनसे वार्ता के लिए तैयार हैं, बशर्ते वे हिंसा छोड़ दें. हम नक्सल हिंसा से प्रभावित इलाकों के विकास के लिए विशेष प्रयास करने को प्रतिबद्ध हैं.’