देश की आर्थिक और सांस्कृतिक स्थितियों को देखते हुए देश को अनुभवी हाथ की आवश्यकता हैं. आज तक के 'सीधी बात' कार्यक्रम में राहुल कंवल से विशेष साक्षात्कार में विचारक और बुद्धिजीवी के एन गोविंदाचार्य ने कहा कि मेरा मानना है कि लालकृष्ण अडवाणी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए. नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह को किसी ना किसी कैबिनेट मिनिस्टर के तौर पर हाथ आजमाना चाहिए. उन्हें पहले अनुभवों से खुद को पुख्ता करना चाहिए, देश के लिए यही ठीक होगा.
बीजेपी है मिशन और कांग्रेस है कमीशन: मोदी
जब राहुल कंवल ने सवाल पूछा कि इस वक्त नरेंद्र मोदी डिमांड में हैं तो गोविंदाचार्य का जवाब था कि सवाल डिमांड का नहीं, देश के हित का है. मुझे जो देश के हित में लग रहा हैं वो यही है कि आडवाणी जी स्वस्थ हैं, अनुभवी हैं, सबसे सीनियर हैं, सबको साथ लेकर चलने की क्षमता को वो पहले ही प्रमाणित कर चुके हैं. नरेंद्र मोदी को अभी बहुत कुछ सीखने की जरुरत है.
क्या कांग्रेस 'भ्रष्टाचार' का पर्याय बन गई है?
लेकिन नरेंद्र मोदी पिछले तीन बार से गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हैं, उन्होंने काम किया है, लोगों में उनके काम की चर्चा भी है. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि मुझे लगता है गुजरात पूरा देश नहीं है, पूरे देश में विविधताएं हैं, जटिलताएं हैं, बहुत से अंतर्विरोध भी हैं, उन सभी का सामना करना, उनसे निपटना, उसके लिए व्यवहार में लचीलापन भी होना चाहिए. उसके लिए काफी कौशल की जरूरत है, जो अभी उन्होंने प्रमाणित नहीं किया है.
मोदीमय हुआ ‘महामंथन’
क्या आप मानते हैं कि नरेंद्र मोदी लचीले नहीं हैं, जिस तरह उन्होंने बीजेपी पर दबाव बनाया संजय जोशी को पार्टी से हटवाया, ये कहीं ना कहीं अड़ियल रवैया है. इस सवाल पर गोविंदाचार्य का जवाब था कि मैं ये मानता हूं कि बहुत ज्यादा लचीलेपन की आवश्यकता है. अपनी पार्टी के साथ ही ऐसी जिद करेंगे तो अन्य दलों के साथ चलना और कठिन हो जाएगा. इसीलिए मेरा ये कहना है कि परिपक्व होने की जरूरत है. राजनीति को कौशल और धैर्य के साथ संभालना जरूरी होता है. मुझे लगता है कि अधीरता का माहौल बन रहा हैं जो ना नरेंद्र मोदी के लिए अच्छा है और ना ही देश के लिए.
PM पद के लिए मोदी की दावेदारी में कितना दम?
जब उनसे पूछा गया कि इस वक्त बीजेपी में सिर्फ नरेंद्र मोदी की चर्चा हो रही है और चारों तरफ जो भी लोग हैं वो नरेंद्र मोदी का ही नाम जप रहे हैं. इस सवाल पर गोविंदाचार्य ने कहा कि ऐसा मुझे नहीं लगता, मुझे लगता है कि भारतीय जनता पार्टी में देश लिए सपना संजोये हुए लोग नीचे मिलेंगे. नेतृत्व के स्तर पर तो सिर्फ साजिश, तिकड़म, चालाकी, चापलूसी का ही आलम है. ऐसी स्थिति में यदि कोई चुप है तो उससे आप ये अंदाज़ा नहीं लगा सकते कि वो पार्टी से सहमत है कि नहीं और ये भी संभव है कि जो चुप है वही साज़िश भी रच रहा हो.
क्या बीजेपी के वो नेता जो चुप हैं वो कोई साजिश कर रहे हैं कि मौका मिलते ही मोदी को साइडलाइन कर देंगे. इस का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि मैं तीन चीजें कहता हूं, चालाकी, तिकड़म और साज़िश इसमें से जो जिस भी फन में माहिर होगा वो अपने काम में लगा होगा.