कांग्रेस नेता शकील अहमद के 'इंडियन मुजाहिद्दीन' वाले बयान पर अब बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सीधे-सीधे हमला किया है. आडवाणी ने उदाहरणों के जरिए यह कहने की कोशिश की है कि आतंकवादी न तो गरीबी के सताये हुए पुत्र हैं और न ही विशेषतौर पर अज्ञानी या उम्मीद खोये हुए लोग.
मंगलवार को आडवाणी ने एक किताब का हवाला देते हुए कांग्रेस नेता शकील अहमद की उस राय का विरोध करने का प्रयास किया कि 2002 के दंगों के विरोध में इंडियन मुजाहिद्दीन का गठन किया गया था. इस किताब में कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा अब मानते हैं कि जेहादी आतंकवादी अब गरीब, मासूम और नाउम्मीद नहीं रहे गये हैं तथा उनकी राजनीतिक एवं धार्मिक शिकायतें हैं. जबकि ओबामा के विचार पहले कुछ और थे.
आडवाणी ने अपने ब्लाग के ताजा पोस्ट में मार्क बाउडेन की पुस्तक ‘द फिनिश: द किलिंग ऑफ ओसामा बिन लादेन’ का विस्तृत उद्धृरण दिया गया है. इस पुस्तक में दावा किया गया है कि इस शताब्दी के पहले दशक में जेहादी आतंकवादियों को लेकर बराक ओबामा के रुख में भारी बदलाव आया है. यह दौर 9/11 के हमले से लेकर ओसामा बिन लादेन को मारे जाने के बीच का है.
पुस्तक के अनुसार आतंकवाद के मूल कारण के बारे में ओबामा के विचार अलग-अलग रहे हैं. उन्होंने 9/11 के बाद एक अखबार को दिये गये साक्षात्कार में कहा था, ‘यह गरीबी, अज्ञानता, अशक्तता और निराशा के माहौल में पनपता है.’ बहरहाल, दस साल बाद 2012 में जब ओसामा मारा गया तो जेहादी आतंकवाद के बारे में ओबामा के विचार बदल चुके थे.
आडवाणी ने कहा, ‘उस दिन (ओसामा के मारे जाने के बाद) के बाद मुझे पक्का भरोसा है कि उनके (ओबामा के) मन में यह धारणा बनी होगी, जैसा कि लेखक ने इस पुस्तक में लिखा है कि आत्मघाती हत्यारे न तो गरीबी के सताये हुए पुत्र हैं और न ही विशेषतौर पर अज्ञानी या उम्मीद खोये हुए लोग.’
बीजेपी के वरिष्ठ नेता अपने ब्लॉग में इस तरह की परोक्ष संदर्भों वाली टिप्पणियां करते रहते हैं. उनकी ताजा टिप्पणी के एक दिन पहले ही कांग्रेस महासचिव शकील अहमद ने कहा था कि नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने के बाद 2002 में हुए गुजरात दंगों की प्रतिक्रिया स्वरूप इंडियन मुजाहिद्दीन का गठन हुआ था.
मोदी को बीजेपी चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाये जाने के बाद से आडवाणी के उनके साथ संबंधों में खिंचाव आ गया है. आडवाणी ने अपने ब्लॉग में इस बात का भी उल्लेख किया है कि अमेरिका में 9/11 के हमलों के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश के रुख में किस तरह से बदलाव आया था.