राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दागी नेताओं से संबंधित अध्यादेश वापस लिए जाने के लिए बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा उन्हें श्रेय दिए जाने को अटकलबाजी करार दिया और कहा कि उनका इस घटनाक्रम से कोई लेना-देना नहीं है.
राष्ट्रपति ने कहा, ‘मैं विपक्ष के विचारों पर टिप्पणी नहीं कर सकता. जिसने भी मुझसे मुलाकात का वक्त मांगा, मैंने दिया. बीजेपी नेताओं ने मुझसे भेंट की, आम आदमी पार्टी ने मुझसे मुलाकात की. मुझे (अध्यादेश के विरुद्ध) विभिन्न अभिवेदन प्राप्त हुए.’ उन्होंने कहा, ‘मैंने प्रधानमंत्री के साथ चर्चा की और जो कुछ भी हुआ आप सभी जानते हैं. मंत्रिमंडल ही अध्यादेश का जन्मदाता था.’
उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने अपनी बुद्धिमता के आधार पर दो अक्टूबर को हुई बैठक में अध्यादेश को वापस लेने का फैसला किया. प्रणब ने कहा, ‘यही सच है. इसके बीच में कौन जिम्मेदार है, कैसे जिम्मेदार है और किस हद तक जिम्मेदार है, यह सब सिर्फ लोगों की अटकलें हैं. मेरा उससे कोई लेना देना नहीं है.’
आडवाणी ने शुक्रवार को अध्यादेश वापस लिए जाने का श्रेय राष्ट्रपति को देते हुए प्रधानमंत्री और यूपीए के अधिकारों पर अपने कड़े शब्दों से पानी फेरने के लिए राहुल गांधी की आलोचना की थी.
आडवाणी के ब्लॉग में प्रणब मुखर्जी का जिक्र
आडवाणी ने अपने ब्लॉग पर लिखा था, ‘इस अवैध और अनैतिक अध्यादेश को वापस लिए जाने पर देश की जो जीत हुई है उसके लिए सिर्फ राष्ट्रपति ही बधाई के पात्र हैं और अगर यूपीए यह समझ रही है कि इस शीर्ष पद को संभालने वाले पूर्ववर्ती कांग्रेस सदस्यों की भांति वह (प्रणब) भी महज रबड़ स्टांप साबित होंगे तो यह उसकी भारी भूल होगी.’
बेल्जियम के राजा फिलिप द्वारा उन्हें (प्रणब को) ‘भारत में सहमति बनाने वाला’ कहे जाने को राष्ट्रपति ने मजाक में लेते हुए कहा कि टिप्पणी में कोई छुपा हुआ अर्थ नहीं था. यह पूछने पर कि क्या राजा की टिप्पणी साल 2014 के आम चुनाव के बाद उनकी भूमिका को लेकर थी, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘राजा फिलिप ने जो कहा वह सदन (लोकसभा) में गठबंधन के नेता की मेरी पूर्ववर्ती भूमिका के संबंध में था और उससे ज्यादा कुछ नहीं.’