आडवाणी अब भी पार्टी पर अपनी पकड़ खोना नहीं चाहते. उन्होंने जता दिया कि 2009 की हार वो भुला चुके हैं और अब पूरे दमखम के साथ आगे बढ़ने की तैयारी कर रहे हैं.
नई पीढ़ी को कमान नहीं
'न टायर, न रिटायर'- ये जुमला अटल बिहारी वाजपेयी ने भले ही अपने लिए इस्तेमाल किया था, लेकिन उनके दोस्त लाल कृष्ण आडवाणी इसे शत-प्रतिशत पालन करने में यकीन करते हैं. लिहाज़ा 81 साल की उम्र में भी पार्टी का मोह नहीं छोड़ पाए और नई पीढ़ी को कमान सौंपने की बात शायद भूल चुके हैं.
हार पर चर्चा का डर कायम
दो हफ्ते में बीजेपी की चिंतन बैठक होनी है. ज़ाहिर है बात बीजेपी के भविष्य और साढ़े चार साल बाद सत्ता में आने की होगी, लेकिन बीजेपी के लौह पुरुष को फिलहाल 2009 में मिली हार पर चर्चा का डर सता रहा है. ज़ाहिर है कि जब नेता वही, तो विचार क्या बदलेगा. कुल मिलाकर 'पार्टी विद डिफरेंस' कहलाने वाली बीजेपी 'फुल ऑफ डिफरेंसेज़' बनने की तैयारी में है.