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आडवाणी खेमे का नया अड़ंगा, नरेंद्र मोदी गुजरात सीएम का पद छोड़ें, तब बनें पीएम कैंडिडेट

बीजेपी की तरफ से पीएम कैंडिडेट के तौर पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम के ऐलान के लिए संघ और पार्टी के कई नेता तैयार हैं, मगर आडवाणी खेमे ने अब एक और पेचीदा शर्त सामने रख दी है. एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक इस खेमे का कहना है कि अगर मोदी को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी दावेदारी पेश करनी है, तो पहले उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना होगा.

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नरेंद्र मोदी को फिर आडवाणी खेमे से चुनौती
नरेंद्र मोदी को फिर आडवाणी खेमे से चुनौती

बीजेपी की तरफ से पीएम कैंडिडेट के तौर पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम के ऐलान के लिए संघ और पार्टी के कई नेता तैयार हैं, मगर आडवाणी खेमे ने अब एक और पेचीदा शर्त सामने रख दी है. एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक इस खेमे का कहना है कि अगर मोदी को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी दावेदारी पेश करनी है, तो पहले उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना होगा. ये खेमा इस बात की पैरवी भी कर रहा है कि फिलहाल मोदी के नाम के ऐलान को टाल दिया जाए. उनका तर्क है कि अगर अभी नाम का ऐलान कर दिया गया तो इस साल के आखिरी में चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में स्थानीय मुद्दे गौण हो जाएंगे और ये चुनाव मोदी पर जनादेश में तब्दील हो जाएंगे.

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पार्टी सूत्रों के मुताबिक आडवाणी, सुषमा स्वराज और मुरली मनोहर जोशी संघ नेतृत्व को यही कह रहे हैं कि मौजूदा हालात में मोदी के नाम का ऐलान करना ठीक नहीं है. उधर संघ कह रहा है कि जब तक साफ तौर पर नाम का ऐलान नहीं होता, तब तक पार्टी के कुछ नेता बयान देकर बेजा विवाद खड़े करते रहेंगे.

राजनाथ का मन, सितंबर तक हो ऐलान

खबर के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह, संघ के प्रतिनिधि राम लाल और एम वैंकेया नायडू इस बात की पैरवी कर रहे हैं कि नरेंद्र मोदी के नाम का ऐलान जल्द से जल्द कर दिया जाए. राजनाथ सिंह का मानना है कि भले ही अगस्त की डेडलाइन पूरी न हो पा रही हो, मगर अगले महीने तक तो यह काम हो ही जाना चाहिए. उनका कहना है कि संसद के मॉनसून सत्र के बाद ऐसा करना ठीक रहेगा.

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संघ ने दिया परंपरा का हवाला

मोदी के पक्ष में पार्टी के सभी नेताओं के बीच सहमति बनाने में जुटा संघ नेतृत्व परंपरा की दुहाई भी दे रहा है. इसका कहना है कि बीजेपी ने हर आम चुनाव से पहले जनता को बताया है कि जनादेश मिलने की दशा में उसका प्रधानमंत्री कौन होगा. पार्टी हमेशा यह काम कांग्रेस के पहले करती रही है औऱ इसका चुनाव में फायदा भी मिला है. संघ का मानना है कि मोदी के नाम का ऐलान करने से उन्हें खुद को देश के हर कोने में पार्टी फोरम पर स्थापित करने का बेहतर मौका और समय मिलेगा.संगठन इसे अपवाद के तौर पर ले रहा है क्योंकि इससे पहले इस टॉप पोस्ट के दावेदार चाहे वह अटल रहे हों या आडवाणी कभी राज्य की राजनीति में नहीं सिमटे. ऐसे में उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर दावेदारी के लिए अतिरिक्त प्रयास नहीं करने पड़े.

आडवाणी खेमा विधानसभा चुनावों पर फोकस के पक्ष में

उधर मोदी की दावेदारी की हवा निकालने में जुटी टीम आडवाणी कर रही है कि लोकसभा चुनावों में अभी कुछ समय बाकी है. फिलहाल नेतृत्व और संगठन को आसन्न विधानसभा चुनावों पर पूरा ध्यान देना चाहिए. गौरतलब है कि इस साल के अंत तक दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं. राजनीतिक पंडित कह रहे हैं कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ बीजेपी जीत की हैट्रिक बना सकती है. वहीं दिल्ली और राजस्थान में भी उसकी वापसी के आसार हैं.पार्टी के मोदी विरोधी धड़े का मानना है कि अगर नाम का ऐलान अभी हो गया तो बीजेपी मुख्यमंत्रियों की उपलब्धियां और उससे जुड़े मुद्दे फीके पड़ जाएंगे और चुनाव में मोदी ही मुख्य मुद्दा बन जाएंगे.

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