बीजेपी की ओर से नरेंद्र मोदी को पीएम उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद देश की सियासत गरमा गई है. एक ओर बीजेपी के भीतर उथल-पुथल बढ़ गई है, तो दूसरी पार्टियां भी मोदी की काट में कमर कस रही हैं.
सियासी गलियारों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, अब तक नाराज बताए जा रहे लालकृष्ण आडवाणी 25 सितंबर को नरेंद्र मोदी के साथ भोपाल में रैली कर सकते हैं. पार्टी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने खुद इस बात के संकेत दिए हैं.
साथ ही बीजेपी में ताजपोशी के बाद रविवार को नरेंद्र मोदी रेवाड़ी में पहली रैली करने जा रहे हैं. रैली के लिए जबरदस्त तैयारी चल रही है.
नरेंद्र मोदी रेवाड़ी में 'चुनावी रण' का बिगुल फूंकने को तैयार
मुंबई में बार-बार सवाल पूछे जाने पर राजनाथ ने रहस्य उजागर किया कि आडवाणी ने कभी यह नहीं कहा कि बीजेपी को पीएम उम्मीदवार के रूप में मोदी के नाम का एलान नहीं करना चाहिए. उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि पीएम कंडीडेट बनने का मतलब यह नहीं कि मोदी गुजरात के सीएम का पद छोड़ दें.
नरेंद्र मोदी को पीएम उम्मीदवार घोषित करने के बाद राजनाथ सिंह पहली बार प्रेस से मुखातिब हुए. स्वाभाविक रूप से सबसे ज्यादा सवाल आडवाणी की नाराजगी को लेकर ही था. राजनाथ सिंह ने कहा, 'आडवाणी जी को कुछ भी कहने का हक. इसका मतलब यह नहीं है कि वो अलग-थलग हैं.'
तस्वीरों में नरेंद्र मोदी: 'शून्य' से 'शिखर' तक का सफर...
राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी 272 सीटें हासिल करेगी. एक कार्यक्रम के उद्घाटन के दौरान उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद है कि हमारे सहयोगियों के समर्थन से एनडीए 272 से ज्यादा सीटें जीतेगा और सत्ता में आएगा.'
केंद्र की यूपीए सरकार पर धावा बोलते हुए राजनाथ ने कहा कि कांग्रेसनीत गठबंधन ने अपने 10 वर्षों के शासन के दौरान देश को आर्थिक बदहाली में पहुंचा दिया.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था की ताकत को देखते हुए यह उम्मीद की जा रही थी कि देश 2020 तक आर्थिक शक्ति बनकर उभरेगा.
बीजेपी प्रमुख ने कहा कि लेकिन पिछले 10 वर्षों के शासन के दौरान देश की आर्थिक स्थिति रसातल में पहुंच गई और लोग भयंकर महंगाई का सामना कर रहे हैं. उन्होंने जोर देकर कहा, 'सत्ता में आने के बाद हम देश की अर्थव्यवस्था को फिर से मजबूत करने का प्रयास करेंगे.'
दूसरी ओर, दिल्ली में आडवाणी को मनाने की कोशिशें अभी भी जारी है. दिल्ली में शनिवार को भी दिनभर आडवाणी को मनाने की कोशिशें चलती रहीं. सुबह से ही उनके घर पर बीजेपी नेताओं के जाने का सिलसिला चलता रहा. शाम में आडवाणी के घर से निकले रविशंकर प्रसाद ने संकेत दिया कि पार्टी के 'भीष्म पितामह' नरम पड़ गए हैं.