विज्ञापन के एक पैराग्राफ के मुताबिक 1993 में कमलनाथ का नाम मुख्यमंत्री के लिए चल रहा था लेकिन अर्जुन सिंह ने तब दिग्विजय सिंह का नाम आगे कर दिया, 25 साल बाद कमलनाथ को दिग्विजय सिंह के समर्थन से मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला.
अखबार में प्रकाशित विज्ञापन
मंगलवार को यही विज्ञापन फिर अखबारों में प्रकाशित हुआ. लेकिन इस विज्ञापन से वो विवादित हिस्सा हटा दिया गया जो सोमवार को प्रकाशित हुआ था. ताजा विज्ञापन में डिस्क्लेमर के जरिए इस गफलत के लिए विज्ञापन एजेंसी को जिम्मेदार ठहराया गया. डिस्क्लेमर में कहा गया, 'एजेंसी की चूक से कुछ गलत लाइन सोमवार को प्रकाशित हो गईं जिनका विज्ञापन से कोई लेना-देना नहीं था. उस गलती को सुधारने के लिए विज्ञापन दोबारा प्रकाशित किया जा रहा है.'
बता दें कि इस साल जन्मदिन पर कमलनाथ मनाली में थे. उन्होंने अपने जन्मदिन पर पार्टी के नेताओं से होर्डिंग्स लगाने या विज्ञापन जारी करने से मना किया था.
कमलनाथ के निर्देशों के बावजूद मध्य प्रदेश कांग्रेस के टॉप नेताओं में मुख्यमंत्री की प्रशंसा में विज्ञापन देने के लिए होड़ मची रही. मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने विज्ञापन जारी करने से इनकार किया है. इस मामले में कोई शिकायत पुलिस में दर्ज नहीं कराई गई है.
टॉप सूत्रों के मुताबिक सरकार के जनसंपर्क मंत्री पी सी शर्मा को विवादित विज्ञापन के कंटेंट के पीछे माना जा रहा है. शर्मा को दिग्विजय सिंह का करीबी माना जाता है.