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अफगान-पाकिस्तान सीमा ‘जिहाद का आधुनिक केन्द्र’: गेट्स

अमेरिका ने अफगानिस्तान-पाकिस्तान की सीमा के बीच स्थित कबायली इलाके को जिहाद का ‘आधुनिक केन्द्र’ बताते हुए अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी की सम्भावना से इनकार किया और कहा कि उस देश पर तालिबान का कब्जा होने से अलकायदा को ‘बहुत ताकत देने वाला संदेश’ मिल सकता है.

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अमेरिका ने अफगानिस्तान-पाकिस्तान की सीमा के बीच स्थित कबायली इलाके को जिहाद का ‘आधुनिक केन्द्र’ बताते हुए अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी की सम्भावना से इनकार किया और कहा कि उस देश पर तालिबान का कब्जा होने से अलकायदा को ‘बहुत ताकत देने वाला संदेश’ मिल सकता है. अमेरिकी रक्षा मंत्री रॉबर्ट गेट्स ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान की विजय से अलकायदा को अपनी पैठ मजबूत करने का मौका मिलेगा.

अभी अफगानिस्‍तान नहीं हटेगी अमेरिकी फौज
उन्होंने कहा कि व्हाइट हाउस में सम्बन्धित रणनीतिक समीक्षा किये जाने के बावजूद पाकिस्तान को अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना को वापस नहीं बुलाने का आश्वासन एक बार फिर दिया गया है. गेट्स ने कहा ‘‘मैंने पाकिस्तानी राजदूत से भोज वार्ता के दौरान स्पष्ट कहा कि हम अफगानिस्तान से फिलहाल नहीं हटेंगे.’’ रक्षा मंत्री ने कहा कि व्हाइट हाउस में की जा रही समीक्षा का उद्देश्य अफगान युद्ध की दिशा में ‘अगले कदम’ पर विचार-विमर्श करना है. उन्होंने कहा ‘‘नए कदमों को लेकर हमारे सहयोगियों के बीच कुछ हद तक अनिश्चितता हो सकती है लेकिन अफगानिस्तान में मौजूदगी बनाए रखने की बात को लेकर पसोपेश वाली स्थिति नहीं है.’’ अफगान-पाकिस्तान सीमा को ‘जिहाद का आधुनिक केन्द्र’ बताते हुए गेट्स ने कहा कि अलकायदा और तालिबान के खिलाफ मुहिम पूरी होने से पहले अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों की वापसी होने से दुनिया के अन्य हिस्सों में कट्टरपंथी आंदोलन को बल मिलेगा.

अफगानिस्‍तान पर फिर से कब्‍जा चाहता है तालिबान
रक्षामंत्री ने कहा कि अमेरिकी-नाटो सेनाओं की हार का हल्का सा संकेत भी अलकायदा को ताकतवर संदेश देगा. गेट्स ने यह बात ऐसे वक्त कही है जब ओबामा प्रशासन अफगानिस्तान और पाकिस्तान को लेकर अपनी नई नीति तथा अफगानिस्तान में और सैनिकों भेजने की सैन्य अधिकारियों की मांग की समीक्षा कर रहा है. वाशिंगटन में समान रूप से मजबूत एक धड़ा अफगानिस्तान में और सैनिक भेजने का विरोध कर रहा है. रक्षा मंत्री ने कट्टरपंथी इस्लामी लड़ाकों के हाथों सोवियत सेना के पराजय का जिक्र करते हुए कहा कि आतंकवादी संगठनों की इच्छा अमेरिका को भी वैसी ही हार से रूबरू कराने की है. अफगानिस्तान पर फिर से कब्जा करने की तालिबान की इच्छा का जिक्र करते हुए गेट्स ने कहा ‘‘यह एक बहुत बड़ा संदेश है कि क्या उन्हें कामयाब होने देना चाहिये.’’ गेट्स ने कहा कि अलकायदा के नेता मानते हैं कि अब उनके पास एक दूसरी महाशक्ति को हराने की ताकत है.

तालिबान इस वक्‍त उभार पर है
उन्होंने आगाह किया कि अगर तालिबान ने देश के महत्वपूर्ण हिस्सों को नियंत्रण में ले लिया तो इससे अलकायदा को खुद को मजबूत करने, बड़े पैमाने पर आतंकवादियों की भर्ती करने और धन इकट्ठा करने का मौका मिल जाएगा. रक्षा मंत्री ने कहा ‘‘सच्चाई यह है कि ऐसा लगता है कि अफगानिस्तान में पर्याप्त सैनिक रखने में हमारी और हमारे सहयोगियों की अक्षमता की वजह से तालिबान इस वक्त उभार पर है.’’ इस बीच, अमेरिका के प्रमुख दैनिक अखबार ने आगाह किया कि तालिबान की जीत अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिये महाविपत्ति की तरह होगी. अखबार ने जोर देकर कहा है कि ओबामा प्रशासन को अफगान-पाकिस्तान क्षेत्र से तालिबान के समूल नाश पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिये, चाहे इसके लिये कितना भी धर्य क्यों न रखना पड़े. समाचार पत्र ने लिखा ‘‘तालिबान को परास्त करना और देश को स्थायित्व प्रदान करने योग्य अफगान सरकार तथा सेना का पोषण करना बहुत मुश्किल काम हैं और इनके लिये वर्षों तक धर्य रखने की जरूरत है.’’

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