अफगानिस्तान का क्या होगा? क्या अमेरिका और नाटो सेना के हटते ही देश पर तालिबान कब्जा कर लेगा. यह तय होगा अफगानिस्तान में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के बाद, जो 5 अप्रैल को होने वाले हैं. ऐसा मानना है केंद्रीय मंत्री शशि थरूर और पाकिस्तानी लेखक अहम रशीद का.
सत्र 'बैटलग्राउंड अफगानिस्तान' में विचार रखते हुए अहमद रशीद ने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि अफगानिस्तान पर तालिबान कब्जा कर लेगा, फिलहाल ऐसा नहीं लगता. बहुत हद तक चुनाव के नतीजों पर निर्भर करेगा. अगर स्थिर सरकार आती है तो चीजें बेहतर होंगी. मगर चुनाव को लेकर विवाद हुआ तो परिस्थिति बदल जाएगी. तब लड़ाई दोतरफा नहीं चौतरफा हो जाएगी. तालिबान बनाम सरकार बनाम एक संगठन बनाम दूसरा संगठन. इसलिए चुनाव के नतीजे बेहद ही अहम हैं
अफगानिस्तान के मुद्दे पर मानव संसाधन राज्य मंत्री शशि थरूर ने कहा, 'अफगानिस्तान हमारे लिए सिर्फ एक रणनीतिक पड़ोसी नहीं है. हमने इस देश को अपने विकास प्रोग्राम का हिस्सा बनाया है. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल को बिजली हमारे इंजीनियरों ने दी. सड़कें, हॉस्पिटल और कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं जो हमनें उन्हें दिया. हमारे लिए वहां होने वाले चुनाव अहम हैं. अगर अफगानिस्तान में राष्ट्रपति चुनाव सुचारू ढंग से होते हैं. तो भविष्य अच्छा रहेगा. अफगानिस्तान में आतंकवाद की समस्या है. सवाल यह है कि ये आतंकी कहां के हैं. क्या वे अफगानिस्तान के अंदर के हैं या फिर पाकिस्तान से लगे बॉर्डर तरफ के. अमेरिकी सेना जल्द ही अफगानिस्तान छोड़कर चली जाएंगी. पर मुझे नहीं लगता कि इसके बाद बाकी देश अफगानिस्तान के प्रति उदासीन हो जाएंगे.'
शशि थरूर और अहमद रशीद ने जोर देकर कहा कि स्थिर अफगानिस्तान दोनों ही देशों का लक्ष्य है. इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए भारत-पाक को साथ आना होगा.
अहमद रशीद ने कहा, 'भारत ने अफगानिस्तान के मुद्दे पर बहुत परिपक्वता दिखाई है. अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई की कई मांगों के बावजूद भारत ने उन्हें ऐसी सैन्य सहायता नहीं दी जिससे पाकिस्तान नाराज हो, और दोनों देशों के रिश्ते में तनाव आए. वहीं, पाकिस्तान की नई सरकार ने भी अफगानिस्तान को लेकर कोई गैर-जरूरी बयान नहीं दिए. परिपक्वता आ रही है.'
शशि थरूर ने कहा, 'बिजनेस को बढ़ावा देकर ही अफगानिस्तान का भला संभव है. हम अफगानिस्तान की स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध हैं और उम्मीद करते हैं कि आने वाली सरकार भी ऐसा ही करेगी. सबसे पहले ट्रांजिट बिजनेस को बढ़ावा देना होगा. अफगानिस्तान के प्रोडेक्ट सीधे भारत मार्केट में आ सकें, वो भी पाकिस्तान के रोड रूट से जिसे बंद कर दिया गया है.'
अहमद रशीद ने अंत में कहा, 'मेरा मानना है कि भारत और पाकिस्तान के साथे आने पर ही अफगानिस्तान से जुड़ी समस्या को निपटाया जा सकता है.'