लगातार 22 दया याचिकाएं खारिज करने के बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने परिजनों की हत्या करने वाले एक आदमी की फांसी की सजा उम्रकैद में बदल दी.
2012 में प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के बाद यह पहला मौका है, जब किसी दया याचिका को उन्होंने खारिज नहीं किया. मन बहादुर दीवान नाम के जिस शख्स की राष्ट्रपति ने दया याचिका स्वीकार की है, वह असम का रहने वाला है. 2002 में अपनी पत्नी गौरी और दो नाबालिग बेटों की जान लेने के जुर्म में उसे फांसी की सजा दी गई थी. उसने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने से पहले अपने पड़ोसी की भी हत्या की थी.
बताया जा रहा है कि गृह मंत्रालय से इस मामले में नरमी बरतने की सलाह मिलने के बाद राष्ट्रपति ने उस पर दया दिखाई. वारदात के वक्त मन बहादुर बहुत गरीब और बेरोजगार था.