कश्मीर के अनंतनाग में मंगलवार को एक युवक की मौत के साथ ही घाटी में मरने वालों की तादाद बढ़कर 75 हो गई है. 8 जुलाई को सुरक्षा बलों के हाथों आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद शुरू हुई उपद्रवी हिंसा के दो महीने पूरे हो रहे हैं, लेकिन हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं. सूबे की सत्तारूढ़ पीडीपी-बीजेपी सरकार केंद्र सरकार के साथ मिलकर शांति बहाली की कोशिशों में जुटी है.
गिरी पीडीपी की साख
दो महीने से जारी अशांति और इसपर काबू पाने में नाकामी के चलते महबूबा मुफ्ती की अगुवाई वाली पीडीपी की साख गिरी है. 87 सदस्यों वाली जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पीडीपी के 27 विधायक हैं, जबकि बीजेपी के सदस्यों की संख्या 25 है. क्षेत्रीय पार्टी होने के नाते पीडीपी का सूबे में अच्छा जनाधार है और महबूबा सरकार के सामने ऐसे हालात से निपटने की चुनौती है. लेकिन मौजूदा माहौल को लेकर पीडीपी के प्रति लोगों की नाराजगी बढ़ी है. बंद के चलते कश्मीर की जनता को जरूरी सामानों की सप्लाई ठीक से नहीं हो पा रही थी. संचार सेवाएं पूरी तरह ठप रहीं. रेल और सड़क मार्ग से संपर्क बाधित हुआ. बुरहान वानी की हत्या से आक्रोशित स्थानीय जनता का आरोप है कि एनकाउंटर सीएम महबूबा की शह पर हुआ है. हालांकि, सीएम ने इससे इनकार किया है कि उन्हें एनकाउंटर की सूचना थी. दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, कुलगाम, पुलवामा और शोपियां में सबसे ज्यादा लोग मारे गए हैं.
8 जुलाई-18 जुलाई
- 47 लोगों की हो चुकी मौत
- 19 सौ के पार हुई घायलों की संख्या
- 04 जगहों, जो पीडीपी के गढ़ माने जाते हैं, में हुई सबसे ज्यादा मौतें
19 जुलाई-31 जुलाई
- 03 और मौतें, ये भी अनंतनाग के काजीगुंड में हुईं
- 19 जुलाई तक रोका गया अखबारों का प्रकाशन
- 24 तक बंद रहे घाटी में स्कूल
- 22 वें दिन भी जारी रहा घाटी में कर्फ्यू
1 अगस्त-15 अगस्त
- 05 और मौतें, ज्यादातर अनंतनाग में हुईं
- 35 सौ पेलेट कारतूस चले नौ जुलाई से 11 अगस्त के बीच
- 12 अगस्त को पाक ने की घाटी में जरूरी चीजें मुहैया कराने की पेशकश
16 अगस्त - 31 अगस्त
- 06 और मौतें हुई, मृतकों में अस्पताल में कुछ भर्ती लोग भी
- 12 साल बाद 22 अगस्त को सड़कों पर दिखी बीएसएफ
- 25 अगस्त को राजनाथ की पीसी में भड़कीं महबूबा
1 सितंबर से 6 सितंबर
- 75 लोगों की हुई है अब तक मौत
- 26 का डेलीगेशन घाटी पहुंचा, अलगाववादियों ने नहीं दिया साथ
- 2 सौ लोगों से डेलीगेशन ने की बात, अलगाववादियों ने नहीं दिया साथ
बीजेपी को कोई नुकसान नहीं!
जम्मू-कश्मीर में मार्च 2015 में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी तो भगवा पार्टी के पास खोने के लिए कुछ नहीं था. बीजेपी ने सरकार बनने के बाद कश्मीरी पंडितों को साधने की बखूबी कोशिश की. उनके पुनर्वास, सैनिकों के लिए कॉलोनियां बनाए जाने जैसी तमाम योजनाओं का ऐलान किया. कश्मीर में जारी हिंसा के दौरान बीजेपी के प्रभाव वाले जम्मू और लेह-लद्दाख के इलाके प्रभावित नहीं हुए. बीजेपी के नेताओं और केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी ने ऐसे प्रयास किए, जिससे लोगों में भरोसा जगा कि यह पार्टी कश्मीर के हितों का ख्याल रखने वाली है. केंद्र सरकार कश्मीर मसले पर विपक्ष को एकजुट करने में भी सफल रही है. ऐसे में सूबे में पहली बार सत्ता में आई बीजेपी को इस अशांति से कोई नुकसान होता नहीं दिख रहा है.
8 जुलाई - 18 जुलाई
- 05 दिवसीय अमेरिकी दौरा गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने किया रद्द
1 अगस्त - 15 अगस्त
- 09 अगस्त को पीएम मोदी ने एमपी की धरती से कश्मीर पर कही 'मन की बात'
16 अगस्त - 31 अगस्त
- 02 बार महीने भर में राजनाथ सिंह कश्मीर पहुंचे
- 22 अगस्त को पीएम मोदी ने विपक्षी पार्टियों से साझा किया कश्मीर का दर्द
- 01 कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद ने माना कि बीजेपी ही सुलझाएगी कश्मीर मसला
1 सितंबर से 6 सितंबर
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- S 50 फाउंडेशन का रेल राज्य मंत्री राजेन गोहेन ने निरीक्षण किया, जो जम्मू-कश्मीर के रियासी क्षेत्र में कौरी गांव के छोर पर है
-01 भी बीजेपी नेता पर घाटी में प्रदर्शनकारियों की ओर से हमले की कोई खबर नहीं