45 वर्षीय अमित शाह चार बार विधायक चुने गए, राज्य के गृह राज्यमंत्री बने और मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे करीबी और सबसे ताकतवर राजनेता माने जा रहे थे. धूमकेतु की तरह उठे उनके राजनीतिक कॅरियर पर सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले का ग्रहण लग गया है.
अमित शाह अहमदाबाद के सरखेज विधानसभा क्षेत्र से लगातार चार बार से विधायक हैं. 2002 में जब भाजपा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राज्य की 182 में से 126 सीटें जीतीं तो अमित शाह ने सबसे अधिक (1.58 लाख) वोटों से जीतने का रिकॉर्ड बनाया. अगले चुनाव में उनकी जीत का अंतर बढ़ कर 2.35 लाख वोट हो गया.
बायोकेमेस्ट्री में बीएससी करने के बाद वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जरिए भाजपा में प्रवेश पाया. मार्च में उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया. गुजरात स्टेट चेस एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं और गुजरात राज्य क्रिकेट एसासिएशन के उपाध्यक्ष हैं जबकि अध्यक्ष नरेंद्र मोदी हैं.
गैंगस्टर सोहराबुद्दीन और उसकी पत्नी कौसर बी को 2005 में पुलिस द्वारा फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया. अदालत के आदेश पर इस वर्ष जनवरी में जांच सीबीआई को सौंपी गई. सीबीआई का आरोप है कि शाह के इशारे पर ही फर्जी मुठभेड़ का नाटक रचा गया.
मोबाइल फोन रिकॉर्ड के आधार पर सीबीआई ने पाया कि मुठभेड़ में शामिल शीर्ष पुलिस अधिकारी घटना के दौरान, उससे पहले और उसके फौरन बाद अमित शाह से फोन पर लगातार संपर्क बनाए हुए थे. मुठभेड़ में शामिल चार आइपीएस अधिकारी गिरफ्तार हो चुके हैं.
27 अप्रैल को सीबीआई द्वारा आईपीएस अभय चूड़ास्मा को इस मामले में गिरफ्तार किए जाने के बाद से ही शाह लगभग अंडरग्राउंड हो गए. वे गुजरात की पचासवीं वर्षगांठ के मौके पर भी नहीं दिखे. सीबीआई द्वारा दो दिनों तक समन भेजने के बावजूद वे पेश नहीं हुए.
मीडिया से फोन पर संपर्क कर कहा कि वे भगोड़े नहीं हैं. उन्होंने दावा किया कि वे अदालत के सामने अपना पक्ष रखेंगे क्योंकि सीबीआई तो केंद्र सरकार की कठपुतली है.