तकरीबन सालभर से बातचीत चल रही थी. किरण बेदी ने अब जाकर भाजपा ज्वाइन कर ही ली. आइए जानते हैं उनके भाजपाई होने के मायने और क्या हो सकती है उनकी योजना. गुरुवार को उन्होंने 9 मिनट के अपने भाषण में 9 बातें कहीं
किरण बेदी के बारे में 10 दिलचस्प बातें...
1. बेदी की बॉडी लैंग्वेज उस समय से ही देखने लायक थी, जब अमित शाह बोल रहे थे. उनसे बार-बार पूछा जा रहा था कि क्या बेदी मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार होंगी. शाह बात को टाल रहे थे. (बेदी को देखकर अंदाज लगाया जा सकता था कि इस जवाब के सार्वजनिक होने की सबसे ज्यादा बेसब्री उन्हें ही है).
2. जब बेदी के बोलने की बारी आई तो उन्होंने सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दो मिनट तक शुक्रिया अदा किया. वे कह रही थीं कि उनकी प्रेरणा से ही वे राजनीति ज्वाइन कर रही हैं. (हालांकि, वे मोदी की इतनी बड़ी समर्थक कभी नहीं रहीं. गुजरात दंगे हों या वहां का लोकायुक्त, वे ट्विटर पर मोदी से सवाल करती रही हैं)
3. बेदी बोलीं कि वे तो अपना जीवन समाजसेवा में न्योछावर करना चाहती थीं, लेकिन मोदी के कहने पर अब भाजपा ज्वाइन कर रही हैं.(बेदी आम आदमी पार्टी भी ज्वाइन कर सकती थीं, लेकिन वहां उन्हें केजरीवाल से ऊंचा ओहदा मिल पाना मुश्किल था)
4. बेदी तेजी में थीं, मानो जल्दी से जल्दी वे अपना बायोडाटा पढ़ देना चाहती थीं. एक शिक्षक से लेकर उन्होंने पुलिस विभाग में अपनी हर पोस्टिंग का जिक्र किया. वे अपने दो एनजीओ के बारे में बताने से भी नहीं चूंकीं. (किसी भी आम नेता की तरह)
5. लेकिन दिलचस्प था उनका अपनी रिटायरमेंट की कहानी कहने का अंदाज. वे बोलीं कि पुलिस विभाग ने उनसे जूनियर अफसर को प्रमोट करके दिल्ली पुलिस कमिश्नर बनाया. ये उन्हें मंजूर नहीं था. फिर उन्होंने कहा कि पोस्ट उनके लिए कभी मायने नहीं रखती. (पोस्ट की परवाह भी नहीं और पोस्ट के लिए नौकरी भी छोड़ी?)
6. रिटायरमेंट की कहानी में वे एक बात पर और जोर दे रही थीं, वह थी उन्हें नजरअंदाज करने की. वे बोलीं कि जब उन्हें लगा कि पुलिस विभाग में उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है तो उन्होंने पद छोड़ दिया.(वे शायद भाजपा को संकेत दे रही थीं कि उन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ता है)
7. बेदी बोलीं कि पहले वे देश और दुनिया में घूम-घूमकर काम करती थीं. अब दिल्ली को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ राजधानी बनाने के लिए मेहनत करेंगी. (हालांकि, पहले जब उनसे दिल्ली से चुनाव लड़ने के बारे में पूछा जाता था तो वे कहती थीं कि वे पूरे देश के लिए बनी हैं)
8. सबसे आखिर में बेदी बोलीं कि मुझे 40 साल का प्रशासनिक अनुभव है. किस तरह काम किया जाता है और काम कराया जाता है, सब जानती हूं मैं. (अब ये तो वही कह सकता है जो मुख्यमंत्री पद संभालने जा रहा हो)
9. वे दिल्ली में लोगों को जोड़कर शासन चलाने की बात करती हैं. और खुद को मिशन मोड में बता रही हैं. (तो इसमें हर्ज ही क्या है, भाजपा को अभी ऐसे लोगों की जरूरत है)