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मोदी-जिनपिंग मिले, अब रिश्तों को ऐसे आगे ले जा रहे हैं भारत-चीन

चीन के शहर वुहान में दोनों नेताओं के बीच सफल शि‍खर वार्ता हुई है, लेकिन अब इस बातचीत को व्यावहारिक रूप से अमल में लाने यानी पथरीली जमीन पर काम करने का दौर है.

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वुहान में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बातचीत से अब सीमा पर भी बदल रहा माहौल
वुहान में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बातचीत से अब सीमा पर भी बदल रहा माहौल

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चीन दौरा इस मायने में सफल माना जा सकता है कि पिछले साल डोकलाम में 72 दिन तक चले गतिरोध के बाद विश्वास बहाल करने और संबंध सुधारने की दिशा में भारत और चीन ने प्रयास किए हैं. चीन के शहर वुहान में दोनों नेताओं के बीच शि‍खर वार्ता हुई है, लेकिन अब इस बातचीत को व्यावहारिक रूप से अमल में लाने यानी पथरीली जमीन पर काम करने का दौर है.

इस बार चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पीएम मोदी की मेजबानी चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान में की. वुहान को चीन का दिल माना जाता है. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच सीमा विवाद सुलझाने समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. इस दौरे से आशावाद की कई किरणें निकल कर आई हैं.

दोनों देश वास्तविकताओं से वाकिफ

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यह दौरा दोनों पक्षों को आगे की ओर देखने और बातचीत की दिशा बदलने का एक मौका था और इस मामले में वुहान सम्मेलन सफल रहा है. इस समय भारत और चीन दोनों सरकारों के सामने अलग-अलग चुनौतियां हैं. भारत में 2019 को लेकर चुनावी माहौल अभी से बना रहा है, तो चीन कोरियाई प्रायद्वीप की तेजी से बदलती परिस्थ‍ितियों और अमेरिका के साथ अस्थि‍र रिश्तों की राजनयिक चुनौतियों से जूझ रहा है. दोनों सरकारें इस चुनौती को समझती हैं, इसलिए जोर वुहान के बाद कुछ ठोस नतीजे हासिल करने पर है.

शुरुआत सीमा प्रबंधन से

इसकी शुरुआत 3,488 किमी लंबी सीमा के प्रबंधन के साथ होगी. मोदी और शी ने अपनी-अपनी सेनाओं के लिए एक 'सामरिक सलाह' जारी की है. विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि इसके तहत, 'दोनों सेनाएं एक-दूसरे से संपर्क रखेंगी ताकि सीमावर्ती मामलों में अनुमान लगाने की क्षमता और प्रभावशीलता को बढ़ाया जा सके.' इसके तात्कालिक कदम के रूप में दोनों देशों के सैन्य मुख्यालयों के बीच हॉटलाइन जल्दी ही चालू हो जाएगा.

संयुक्त गश्ती का प्रस्ताव

कुछ ज्यादा महत्वाकांक्षी प्रस्तावों की बात करें तो वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के उन 16 इलाकों में समन्वित या संयुक्त निगरानी करने का भी प्रस्ताव है, जहां सीमा रेखा के परस्पर विरोधी दावे की वजह से विवाद होता है.

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दूसरा संभावित कदम हो सकता है, तीसरे देशों में संयुक्त आर्थिक परियोजनाओं को शुरू करना. मोदी और शी ने इस मामले में अफगानिस्तान को शुरुआती बिंदु मानते हुए चर्चा की है. अब दोनों देशों के अधिकारी इस पर आगे चर्चा करेंगे. चीन के उप विदेश मंत्री कोंग शुआनयू ने कहा, 'चीन-भारत प्लस वन या चीन-भारत प्लस X के रूप में सहयोग पर चर्चा कर नीतिगत समन्वय को आगे बढ़ाने पर चर्चा हुई है.'

उन्होंने कहा कि इसके अलावा दोनों देश चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) पर मतभेदों से आगे बढ़ने पर सहमत हुए हैं. भारत इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है, क्योंकि चीन की महत्वाकांक्षी सीपीईसी परियोजना पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरती है. दोनों देश इस मामले में थोड़ी रियायत बरतने पर सहमत हुए हैं. चीन अब आर्थिक सहयोग बढ़ाने के मामले में यह पूर्व शर्त नहीं रखेगा कि भारत बीआरआई को स्वीकार करे.

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