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PM नरेंद्र मोदी ने राहत कोष में दान किया एक महीने का वेतन

नेपाल में आए भूंकप के बाद जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्परता दिखाते हुए पड़ोसी मुल्क की मदद की है वो काबिल-ए-तारीफ है. इस बीच मोदी ने सोमवार को अपना एक महीने का वेतन प्रधानमंत्री राहत कोष में दान करने का फैसला किया है.

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PM नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
PM नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

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नेपाल में आए भूंकप के बाद जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्परता दिखाते हुए पड़ोसी मुल्क की मदद की है वो काबिल-ए-तारीफ है. इस बीच मोदी ने सोमवार को अपना एक महीने का वेतन प्रधानमंत्री राहत कोष में दान करने का फैसला किया है.

लोकसभा के सदस्यों ने भी भूकंप प्रभावितों की सहायता के लिए एक महीने का वेतन दान करने का फैसला किया है. सरकार ने पहले ही ऐलान किया है कि भूकंप में मारे गए लोगों के परिजन को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दो दो लाख रूपये की सहायता राशि प्रदान की जाएगी. भूकंप में घायल हुए हर व्यक्ति को 50,000 रूपये दिए जाएंगे.

भूकंप में मारे गए लोगों के परिजन को राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से भी चार चार लाख रूपये प्रदान किए जाएंगे. इस तरह कुल सहायता राशि छह लाख रूपये हो गई है. सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता राज्य मंत्री विजय सांपला ने प्रधानमंत्री आपदा राहत कोष के लिए मोदी को दो लाख रूपये का चेक प्रदान किया.

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सोनिया-राहुल ने भूकंप से हुए नुकसान पर चिंता जताई
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने नेपाल में आए भारी भूकंप से उत्पन्न स्थिति और भारत में इसके प्रभाव को लेकर सोमवार को चिंता जताई और आशा व्यक्त की कि जानमाल को नुकसान कम से कम होगा.

सोनिया गांधी ने कहा कि वह परेशानी में उन सभी लोगों की सहायता के लिए प्रार्थना करती हैं जो इस जबर्दस्त भूकंप से प्रभावित हुए हैं और आशा जताई कि नेपाल और साथ ही उससे लगे बिहार और उत्तर प्रदेश के इलाकों में नुकसान सीमित ही रहेगा.

राहुल गांधी ने अपने संदेश में कहा, ‘मेरी भावनाएं और प्रार्थना नेपाल और भारत के कुछ हिस्सों में भूकंप से प्रभावित हुए लोगों के प्रति हैं. उन्होंने आशा व्यक्त की कि जानमाल का नुकसान सीमित रहेगा और जिन्हें मदद की जरूरत हो उन्हें जल्द से जल्द सहायता मिलेगी.

स्थिति सामान्य करने के लिए नेपाल को होगी 5 अरब डॉलर की दरकार एशिया के सबसे गरीब देशों में से एक नेपाल भूकंप के बाद बुनियादी ढांचे के मामले में कई साल पीछे चला गया है और पुनर्निर्माण में उसे अरबों डालर खर्च करने पड़ेंगे. लम्बे गृहयुद्ध के बाद इस हिमालयी देश की अर्थव्यवस्था धीरे धीरे सुधरने लगी थी पर उसे अचानक एक बड़ा आघात लगा है.

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इनपुट: भाषा

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