सर्जिकल स्ट्राइक और सीमा पर तनाव की चलते भारत ने एतियातन अपने रक्षा उपकरणों और युद्ध सामग्री को ज्यादा मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए हैं. सरकार की ओर से पिछले तीन महीनों में युद्ध सामग्री से जुड़े 20 हजार करोड़ के इमरजेंसी समझौते किए गए हैं ताकि युद्ध जैसे हालात से निपटने के लिए सेना को तुरंत तैयार किया जा सके.
अंग्रेजी अखबर टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक रक्षा मंत्रालय की ओर से जम्मू-कश्मीर में पिछले साल सितंबर में हुए उड़ी आतंकी हमले के बाद सरकार ने रूस, इजरायल और फ्रांस के साथ ये रक्षा करार किए हैं. सेना के युद्ध के हालात में गोला-बारूद की कमी ना हो इसे ध्यान में रखते हुए ये कदम उठाए गए हैं.
सरकार की ओर से तीनों सेना प्रमुखों की अध्यक्षता वाली समितियों का भी गठन किया गया है जिसे आपात हालात में विशेष वित्तीय अधिकार दिए है. इस बार के बजट में सेना के लिए अलग से कोई फंड की बात भले ही ना हो लेकिन करीब 86 हजार करोड़ रुपए से सेना अपने जरुरतों को पूरा कर रही है.
रक्षा करार में वायुसेना की ओर से 9200 करोड़ के 43 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं. थल सेना ने भी रूस की कंपनियों के साथ 10 समझौते किए हैं. इन रक्षा साजो-सामान की खरीद के बाद भारतीय सेना किसी भी आतंकी हमले से निपटने को और मजबूती से तैयार होगी.
भारत ने रूस के बीच हुए करार के तहत से सेना टी-20 टैंक और टी-72 टैंक के लिए गोला-बारूद खरीदेगी. कई सालों से सेना को इन रक्षा उपकरणों की जरुरत थी और करार ना होने की वजह से गोला-बारूद नहीं खरीदा जा रहा था. अब सामान की खरीददारी के बाद सेना और और मजबूती मिलने की उम्मीद है.