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NIA की छापेमारी में अफजल गुरू का खत बरामद, गिलानी को मदद के लिए कहा था शुक्रिया

अफजल गुरू ने इस खत के जरिए गिलानी का शुक्रिया अदा किया था, आपको बता दें कि गिलानी लगातार अफजल गुरू को दिल्ली की तिहाड़ जेल से जम्मू-कश्मीर की जेल में शिफ्ट करवाने की कोशिशें कर रहे थे. गिलानी ने उस समय इस मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस भी की थी. NIA की छापेमारी में पत्थरबाजी और टेरर फंडिंग से जुड़े कई अहम सबूत मिले थे.

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एनआईए को मिला अफजल गुरू का खत
एनआईए को मिला अफजल गुरू का खत

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आज तक के खुलासे ऑपरेशन हुर्रियत के बाद एनआईए की ओर से अलगाववादियों पर शिकंजा कसता जा रहा है. रोजाना अलगाववादियों से जुड़ी कई जानकारियां सामने आ रही हैं. अब एनआईए सूत्रों की मानें, तो NIA की छापेमारी में अलगाववादी नेता अल्ताफ अहमद शाह फंटूस के घर से संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरू का एक खत बरामद हुआ है. अफजल गुरू ने ये खत अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी को किया था.

अफजल गुरू ने इस खत के जरिए गिलानी का शुक्रिया अदा किया था, आपको बता दें कि गिलानी लगातार अफजल गुरू को दिल्ली की तिहाड़ जेल से जम्मू-कश्मीर की जेल में शिफ्ट करवाने की कोशिशें कर रहे थे. गिलानी ने उस समय इस मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस भी की थी. NIA की छापेमारी में पत्थरबाजी और टेरर फंडिंग से जुड़े कई अहम सबूत मिले थे.

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गौरतलब है कि ऑपरेशन हुर्रियत के खुलासे के बाद शिकंजे में आए अलगाववादी नेता नईम खान और बिट्टा कराटे के वॉइस सैंपल लिए गए हैं. इसके अलावा दोनों की लिखावट के सैंपल भी लिए गए हैं. यह सैंपल मंगलवार को लिए गए थे. ऑपरेशन हुर्रियत में हुर्रियत के कई नेताओं ने कबूल किया था कि उन्हें पाकिस्तान से फंड मिलता है ताकि घाटी में अशांति का माहौल बनाए रखा जा सके.

 

इसके अलावा हुर्रियत के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी और उनके परिवार पर एनआईए का शिकंजा कसता जा रहा है. बुधवार को गिलानी का छोटा बेटा नसीम एनआईए के सामने पेश होना था. इससे पहले बड़े बेटे को भी पेश होना था, लेकिन वह तबीयत खराब होने के कारण पेश नहीं हो पाया था. टेरर फंडिंग पर 'आजतक' के स्टिंग ऑपरेशन के बाद एनआईए की जांच पड़ताल में गिलानी ही नहीं, उसके बेटे दामाद भी बुरी तरह घिर गए हैं.

'आज तक' के स्टिंग ऑपरेशन में दिखाया था कि कैसे हुर्रियत नेता आतंक की आग में जम्मू और कश्मीर को झोंकने की बात कर रहे हैं. इस स्टिंग पर एऩआईए ने जब जांच पड़ताल शुरू की तो इसकी जड़ें पाकिस्तान तक पहुंची. हुर्रियत के नेताओं और उनके साथ वतन से गद्दारी करने वालों पर शिकंजा कसा तो इसकी कड़ियां भारत में पाकिस्तान के उच्चायोग तक जुड़ने लगी हैं.

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