scorecardresearch
 

आम चुनावों के लिए कांग्रेस सतर्क, जाट आरक्षण से फिर वोट बटोरेगी कांग्रेस

पिछले चुनावों में हार और आने वाले आम चुनावों की आहट से कांग्रेस सतर्क हो गई है. केंद्र सरकार ने जाटों को पटाने के लिए नया पासा फेंका है. जाटों को पिछड़ी जातियों के लिए तय आरक्षण में से हिस्सेदारी के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने एक प्रस्ताव राष्ट्रीय पिछड़ी जातियों के आयोग को भेजा है. इसके तहत नौ राज्यों में जाटों को आरक्षण दिये जाने की प्रक्रिया तय करने की भी सिफारिश की गई है.

Advertisement
X
मनीष तिवारी
मनीष तिवारी

पिछले चुनावों में हार और आने वाले आम चुनावों की आहट से कांग्रेस सतर्क हो गई है. केंद्र सरकार ने जाटों को पटाने के लिए नया पासा फेंका है. जाटों को पिछड़ी जातियों के लिए तय आरक्षण में से हिस्सेदारी के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने एक प्रस्ताव राष्ट्रीय पिछड़ी जातियों के आयोग को भेजा है. इसके तहत नौ राज्यों में जाटों को आरक्षण दिये जाने की प्रक्रिया तय करने की भी सिफारिश की गई है.

Advertisement

हालांकि केंद्र सरकार की पहले की गई ऐसी ही सिफारिश को आयोग ने ठुकरा दिया था. खेती काश्तकारी करने वाले जाट समुदाय को पिछड़ी जातियों को मिलने वाले आरक्षण का लाभ देने की मंशा केंद्र सरकार ने जताई है. इस बाबत केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय पिछड़ी जाति आयोग को अपनी सिफारिश भी भेजी है.

केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा, 'केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आयोग से कहा है कि इन नौ राज्यों में जाट पहले ही पिछड़ी जातियों की सूची में शामिल हैं. अब केंद्र सरकार चाहती है कि जाटों को पिछड़ी जातियों में शामिल कर लिया जाय और केंद्र सरकार की नीति के मुताबिक उनको लाभ मिल सके. जब केंद्रीय मंत्रिमंडल सिफारिश करता है तो उम्मीद की जाती है कि आयोग उसे गंभीरता से लेगा.'

केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले के मुताबिक दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरिय़ाणा, हिमाचल प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार में जाटों को पिछड़ी जातियों के लिए तय 27 फीसदी आरक्षण में हिस्सेदारी देने की सिफारिश की गई है. पिछली बार ऐसी ही सिफारिश ठुकरा चुके आयोग को तय करना है कि इस सिफारिश पर क्या किया जाए. हालांकि सरकार उम्मीद भरी निगाहों से राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की ओर देख रही है.

Advertisement

कैबिनेट के इस फैसले पर ये भी तय है कि बाकी पिछड़ी जातियां बवाल मचा दें, क्योंकि तेल तो उन्हीं तिलों से निकलना है. जितने हिस्सेदार होंगे सबका हिस्सा उतना कम हो जाएगा.

Advertisement
Advertisement