वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा है कि वैध दस्तावेजों के साथ ब्रिटेन में प्रवेश करने वाले किसी भी शख्स को डिपोर्ट नहीं किया जा सकता है. ऐसे में शराब कारोबारी विजय माल्या को भारत वापस लाना आसान नहीं है. उन्होंने कहा कि इसके लिए दूसरी प्रक्रिया अपनानी पड़ेगी.
जेटली ने कहा, 'ब्रिटेन का अपना कानून है. उनके कानून के तहत एक बार यदि कोई वैध दस्तावेजों के साथ देश में आ जाता है तो उसे डिपोर्ट नहीं किया जाएगा. ऐसे में अब माल्या की वापसी का एक ही जरिया है प्रत्यर्पण. माल्या के खिलाफ एक बार चार्जशीट फाइल हो जाए उसके बाद एजेंसिया अपना काम करेंगी.' उन्होंने कहा कि सरकार माल्या को भारत वापस लाने से सभी विकल्पों पर विचार कर रही है.
न्यायिक समीक्षा पर भी टिप्पणी
वित्त मंत्री कहा कि न्यायिक समीक्षा न्यायपालिक पालिका की तर्कसंगत शक्ति है. देश के सभी संस्थानों को खुद ही एक 'लक्ष्मण रेखा' बनानी होगी. उन्होंने कहा कि स्वतंत्र न्यायपालिका का होना बेहद जरूरी है. यह हमारे लोकतंत्र की गुणवत्ता को बढ़ाती है. साथ ही विधानमंडल की प्रमुखता भी लोकतंत्र का एक अहम हिस्सा है.
विपक्ष से साथ रिश्तों पर उठा सवाल...
विपक्ष के साथ रिश्तों को लेकर जेटली ने कहा कि सत्ता और विपक्ष के बीच टकराव कोई नई बात नहीं है. ऐसा पहले भी होता रहा है. जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए विपक्ष को भी काम करना चाहिए. उन्होंने कहा, 'यूपीए के दौरान 10 साल में जिसे पॉलिसी पैरालिसिस कहते थे उसे अब फास्टेस्ट ग्रोविंग इकॉनमी कहते हैं. इस देश की परंपरा है कि जो लोग दो या तीन साल पहले से राजनीति में थे उन्हें प्रधानमंत्री बना दिया और जो सालों से हैं उन्हें बाहरी करार देते हैं.' जेटली ने कहा कि अगर सरकार और विपक्ष दोनों सिर्फ मुद्दों पर फोकस करें, व्यक्ति पर नहीं, तो आखिर में कोई विवाद व्यक्तिगत नहीं रहेगा.
सिर्फ कांग्रेस कर रही है GST का विरोध
वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने जीएसटी बिल की राह में रोड़ा अटका रखा है. यूपीए में कांग्रेस की सहयोगी पार्टियां भी जीएसटी के पक्ष में हैं. एआईएडीएमके को छोड़कर बाकी सभी क्षेत्रीय पार्टियां इसके पक्ष में हैं.