भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि त्रुटिपूर्ण मल्टी बैरल राकेट लांचर सिस्टम, कम क्षमता की मिसाइलों, दोषपूर्ण आक्सीजन मास्कों आदि का आयात करके देश की सुरक्षा से खिलवाड़ किया गया.
शुक्रवार को संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2008 में 1970 की पुरानी अप्रचलित मिसाइलें की अधिप्राप्ति हेतु संविदा की गयी जिससे थलसेना की आवश्यकता के साथ समझौता हुआ. इसमें कहा गया कि पूरे विश्व में तीसरी पीढ़ी की मिसाइलें उपलब्ध होने के बावजूद 587.02 करोड़ रुपये की ये अप्रचलित पुरानी मिसाइलें खरीदी गयीं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि थलसेना को पता था कि शत्रु के पास मिलन 2 टी की रेंज से अधिक वाली एटीजीएम मौजूद हैं और इसलिए 2003 की जीएसक्यूआर के मानकों को इस प्रकार घटाना वांछनीय नहीं था. इसमें कहा गया है कि थलसेना को इससे अधिक की एटीजीएम की आवश्यकता थी ताकि जोखिम से बचाव किया जा सके. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आक्सीजन मास्क में गंभीर दोषों के बारे में पता होने के बावजूद उन्हें खरीदा गया. {mospagebreak}
इसमें कहा गया है ‘इस बात से अवगत होने के बावजूद कि एक विदेशी विक्रेता द्वारा प्रस्तावित आक्सीजन मास्क गंभीर दोषयुक्त हैं, रक्षा मंत्रालय ने यह सुनिश्चित नहीं किया कि सेना को आपूर्ति किए जाने से पहले विक्रेता द्वारा इन दोषों को दूर कर लिया गया है या नहीं. इसके परिणामस्वरूप पांच करोड़ रूपये की कीमत से अधिक के ये दोषयुक्त मास्क खरीदे गए.’
इसमें कहा गया है कि बाद में पायलटों को सिलेंडर से आक्सीजन लेने में समस्या का सामना करना पड़ा जिसके चलते सेना विमानन इकाइयों ने इन्हें लौटा दिया. रिपोर्ट में कहा गया है कि टी 72 टैंकों से दागे जाने वाले दोषपूर्ण बताए गए 273.75 करोड़ रुपये मूल्य के देशी और आयातित गोला बारूद की मरम्मत को पांच से आठ सालों तक के लिए लंबित पाया गया जबकि विदेशी गोला बारूद अभी भी वारंटी अवधि के अंदर था.
इसमें कहा गया है कि थलसेना मुख्यालय ने इसके बावजूद वारंटी के तहत आपूर्तिकर्ता से इसे संशोधित कराने के कोई प्रयास नहीं किए. कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एके 47 राइफल के लिए गोला बारूद के अनुमोदन के गलत आकलन के परिणामस्वरूप 44.50 करोड़ रुपये मूल्य के 234.23 राउंड गोला बारूद अधिक मंगाया गया.