अगस्ता वेस्टलैंड डील घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में कारोबारी रतुल पुरी ने सीबीआई कोर्ट का रुख किया है. रतुल पुरी ने अपने खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट को रद्द करने की मांग की है.
पुरी ने कहा है कि वह जांच में शामिल होना चाहते हैं और इसलिए वारंट रद्द किया जाना चाहिए. मामले की सुनवाई शनिवार को की जाएगी. बता दें कि रतुल पुरी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे हैं.
बता दें कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भतीजे रतुल पुरी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के लिए प्रतिक्रिया मांगी. रतुल पुरी ने अपनी अग्रिम जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट के फैसले को पहले ही चुनौती दे दी है. न्यायमूर्ति सुनील गौड़ ने एजेंसी से एक हलफनामे के साथ प्रतिक्रिया दायर करने को कहा था.
बुधवार को अदालत ने एजेंसी को मामले के घटनाक्रम के बारे में बताने के लिए कहा. इस दौरान अदालत ने ईडी से पूछा कि पुरी को हिरासत में लेकर की जाने वाली पूछताछ का क्या कारण है. इसके अलावा ईडी से आयकर विभाग द्वारा संलग्न संपत्ति के विवरण के बारे में भी सवाल पूछे गए.
सुनवाई के दौरान पुरी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया, 'मैंने बयान के 107 पृष्ठ दिए हैं. आप एक कंपनी की संपत्ति को बेनामी बताते हैं.' वहीं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने कहा, 'आयकर विभाग क्या करता है, हम इसके लिए कैसे जिम्मेदार हैं? हालांकि, हम इसके बारे में अपने जवाब में लिखेंगे. मामला एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर है और अंतरिम हिरासत नहीं दी जानी चाहिए.'
आयकर विभाग ने कथित तौर पर बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम, 1988 के तहत पुरी और उनके पिता दीपक पुरी से संबंधित एक संपत्ति संलग्न की है. पुरी ने मंगलवार को अगस्ता वेस्टलैंड मामले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपनी अग्रिम जमानत को खारिज करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है.
ईडी ने 9 अगस्त को पुरी द्वारा मामले में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाते हुए उन्हें गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था. विशेष सीबीआई न्यायाधीश अरविंद कुमार ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर आवेदन के तौर पर पुरी को गैर-जमानती वारंट जारी करने की अनुमति दी थी. इसके बाद अदालत ने पिछले हफ्ते पुरी द्वारा दायर की गई अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया था.
रतुल पुरी अपनी कंपनियों के माध्यम से अगस्ता वेस्टलैंड सौदे में कथित रूप से रिश्वत प्राप्त करने के लिए जांच एजेंसियों की जांच-पड़ताल के दायरे में हैं.