संसद के बजट सत्र का आगाज सोमवार सुबह 11 बजे से हो चुका है. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी संसद भवन पहुंच चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट सत्र शुरू होने से पहले कहा,'रविवार को मैं सभी दलों के नेताओं से मिला था. मैंने सबकी बात सुनने का प्रयास किया था. हमारा कोशिश हर महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करना रहेगी. यह देश और सरकार के लिए महत्वपूर्ण अवसर, हर आदमी की आकांक्षा पूरा करने का प्रयास होता है. मुझे उम्मीद है इस सत्र में सभी का सहयोग मिलेगा.'
इस सत्र के काफी हंगामेदार रहने की उम्मीद है क्योंकि केंद्र सरकार के लिए अध्यादेशों के स्थान पर छह विधेयकों को पास कराना आसान नहीं होगा. सबसे बड़ा पेंच भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर फंसा है जिसके खिलाफ विपक्ष ने मोर्चाबंदी कर रखी है.
मोदी सरकार के पहले बजट सत्र को हंगामेदार बनाने के लिए विपक्ष ने पूरी तैयारी कर ली है. सरकार ने भले ही आम सहमति बनाने के लिए एक दिन पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई लेकिन कई विपक्षी दलों ने ‘अध्यादेश राज’ के खिलाफ पहले ही मोर्चा खोल दिया है.
तीन महीने तक चलने वाले इस सत्र के दौरान मोदी सरकार अपना पहला पूर्ण बजट पेश करेगी, सरकार ने जहां विपक्षी नेताओं के साथ चर्चा की है, लेकिन ऐसे कोई संकेत नहीं मिले हैं कि विपक्ष ने कोई राहत मिले. खासकर भूमि कानून में बदलाव के खिलाफ विपक्ष के तीखे तेवर सरकार को मुश्किल में डाल सकते हैं.
राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ शुरू होगा बजट सत्र
संसद का बजट सत्र सोमवार से शुरू होगा और आठ मई को खत्म होगा. संसद के केंद्रीय कक्ष में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण के साथ बजट सत्र शुरू होगा. 26 फरवरी को रेल बजट, 27 फरवरी को आर्थिक सर्वेक्षण और 28 फरवरी, 2015 को आम बजट पेश होगा.
बजट सत्र से पहले परंपरा के मुताबिक लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी सभी पार्टियों की बैठक बुलाई. बैठक में सभी दलों से सदन को सुचारु रूप से चलाने की अपील की.
वैसे मोदी सरकार के लिए मुश्किल संसद के बाहर भी रहेगी जब भूमि कानून को लेकर अन्ना हजारे हजारों किसानो के साथ धरने पर बैठेंगे. सरकार की मोर्चाबंदी करने के लिए राहुल गांधी भी सड़क पर विरोध करते नजर आएंगे और रही सही कसर बाकी विपक्ष संसद में पूरी कर देगा. जाहिर है सरकार के रणनीतिकारों को इस बार विपक्ष को संभालने में काफी मेहनत करनी पड़ेगी.