कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल हाल ही में गिरफ्तार हुए कर्नाटक कांग्रेस के संकटमोचक डीके शिवकुमार से मिलने पहुंचे थे, लेकिन प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इसकी इजाजत नहीं दी. इंडिया टुडे के सूत्रों ने बताया कि अहमद पटेल कुछ अन्य पार्टी नेताओं के साथ डीके शिवकुमार से मिलने ईडी के दफ्तर पहुंचे थे, लेकिन उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिली.
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, 'अदालत ने हमारी हिरासत के दौरान डीके शिवकुमार के वकीलों को उनसे मिलने की इजाजत दी है. वकीलों के अलावा हम किसी और को उनसे मिलने नहीं दे सकते.'
विपक्ष को डराने में जुटी सरकारः पटेल
अहमद पटेल ने एक ट्वीट के जरिए बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा, 'यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब अर्थव्यवस्था डावांडोल है, इस सरकार की प्राथमिकता सिर्फ विपक्ष को डराने की है.'
डीके शिवकुमार 13 सितंबर तक ईडी की हिरासत में हैं और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में उनसे पूछताछ की जा रही है. शिवकुमार को 3 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद उन्होंने ट्वीट किया था, 'मैं अपने बीजेपी के दोस्तों को बधाई देना चाहता हूं कि आखिरकार मुझे गिरफ्तार करवाने के अपने अभियान में वे सफल हुए. मेरे खिलाफ आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय ने केस दर्ज किया जो कि राजनीति से प्रेरित है और मैं बीजेपी की बदले की राजनीति का भुक्तभोगी हूं.'
डीके शिवकुमार की गिरफ्तारी कांग्रेस पार्टी के लिए तगड़ा झटका थी, क्योंकि इसके पहले पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी गिरफ्तार हुए थे और फिलहाल वे दिल्ली की तिहाड़ जेल में हैं.
शिवकुमार को गिरफ्तार करने के बाद ईडी ने अपने दिल्ली स्थित मुख्यालय में उनसे चार दिन तक पूछताछ की थी. जांच में शामिल होने से पहले शिवकुमार ने मीडिया से कहा था कि वे कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं और वे इस बात से अनजान हैं कि ईडी ने उन्हें समन क्यों भेजा है. उन्होंने कहा, 'मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है, मैं उनके सवालों का जवाब दूंगा.'
ईडी ने भेजे थे 2 समन
ईडी ने सबसे पहले जनवरी और उसके बाद फरवरी 2019 में जांच में सहयोग करने के लिए डीके शिवकुमार को समन भेजा था. इसके बाद अगस्त में उन्हें फिर से जांच एजेंसी के सामने पेश होने को कहा गया तो शिवकुमार हाईकोर्ट चले गए. हालांकि, हाईकोर्ट ने उन्हें कोई राहत नहीं दी. इसके बाद 30 अगस्त को शिवकुमार ने जांच ज्वॉइन कर ली.
आयकर विभाग ने डीके शिवकुमार और उनके नजदीकी सहयोगी हनुमंथैया, जो कि दिल्ली स्थित कर्नाटक भवन में कर्मचारी भी हैं, के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चार्जशीट पेश की थी. आयकर विभाग की इसी चार्जशीट के आधार पर शिवकुमार के खिलाफ ईडी ने सितंबर, 2018 में अपनी जांच शुरू की थी.
हवाला के जरिए लेन-देन के सबूत
सूत्रों के मुताबिक, आयकर विभाग को जांच के दौरान क्रॉस बॉर्डर हवाला के जरिये लेन-देन के सबूत मिले थे जिसका नेटवर्क दिल्ली से लेकर बेंगलुरु तक था और इसके कई लोग शामिल थे.
यह भी आरोप है कि डीके शिवकुमार अपनी बेटी के साथ जुलाई, 2017 में वित्तीय निवेश के मकसद से सिंगापुर गए थे. आयकर विभाग का दावा है कि जांच के दौरान उन्हें 429 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति का पता चला है जो डीके शिवकुमार से जुड़ी है.
आयकर विभाग ने 2017 में डीके शिवकुमार के ठिकानों पर छापेमारी भी की थी. विभाग के मुताबिक, छापे के दौरान दिल्ली में चार जगहों से 8.5 रुपये करोड़ रुपये जब्त किए गए थे जिनका संबंध डीके शिवकुमार से पाया गया था. इसके अलावा एजेंसी का आरोप है कि दिल्ली के सफदरजंग एनक्लेव में तीन फ्लैट ऐसे खरीदे गए जिनका संंबंध डीके शिवकुमार से है.