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अन्नाद्रमुक के थम्बीदुरई निर्विरोध चुने गए लोकसभा उपाध्यक्ष

अन्नाद्रमुक के एम थंम्बीदुरई बुधवार को निर्विरोध और सर्वसम्मति से लोकसभा उपाध्यक्ष चुन लिए गए. सदन के लगभग सभी दलों के नेताओं की ओर से थंम्बीदुरई के नाम के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया गया. उनके अलावा कोई अन्य उम्मीदवार इस पद की दौड़ में नहीं था.

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एम. थम्बीदुरई
एम. थम्बीदुरई

अन्नाद्रमुक के एम थम्बीदुरई बुधवार को निर्विरोध और सर्वसम्मति से लोकसभा उपाध्यक्ष चुन लिए गए. सदन के लगभग सभी दलों के नेताओं की ओर से थम्बीदुरई के नाम के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया गया. उनके अलावा कोई अन्य उम्मीदवार इस पद की दौड़ में नहीं था. उनके निर्विरोध निर्वाचित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे सहित अनेक दलों के नेता उन्हें ससम्मान उपाध्यक्ष के लिए निर्धारित सीट की ओर ले गए.

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सदन द्वारा उन्हें सर्वसम्मति से उपाध्यक्ष चुनने के बाद मोदी ने इस पद पर थम्बीदुरई का स्वागत करते हुए कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि परंपराओं के अनुरूप सदन के सभी दलों के सदस्यों ने थम्बीदुरई को सर्वसम्मति से उपाध्यक्ष पद के लिए पसंद किया है. उन्होंने इसके लिए सदन का, खासतौर से प्रतिपक्ष के सभी दलों का आभार व्यक्त किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि थम्बीदुरई पहले भी उपाध्यक्ष रह चुके हैं और पिछली बार की तरह इस बार भी वह सदन का बढ़िया मार्गदर्शन और संचालन करेंगे.

थम्बीदुरई की प्रशंसा करते हुए मोदी ने कहा कि एक सांसद के रूप में लंबा अनुभव होने के साथ ही वह पहले भी उपाध्यक्ष होने के अलावा मंत्रिपरिषद में भी रह चुके हैं. वह एक शिक्षाविद्, सामाजिक कार्यकर्ता और कृषिविद् भी हैं. मोदी ने विश्वास जताया कि ऐसी विविधता भरा व्यक्तित्व उपाध्यक्ष चुने जाने पर सदन को मार्गदर्शन मिलेगा. थम्बीदुरई को उन्होंने विश्वास दिलाया कि सरकार की ओर से उन्हें पूर्ण सहयोग मिलेगा.

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सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने थम्बीदुरई का स्वागत करते हुए कहा कि लोकतंत्र में सबसे महत्वपूर्ण यही जगह (संसद) होती है जहां जनता के प्रतिनिधि जनता की आवाज उठाना चाहते हैं. उन्होंने उम्मीद जतायी कि उपाध्यक्ष की हैसियत से थम्बीदुरई ऐसा करने में सदस्यों की मदद करेंगे.

अन्नाद्रमुक के पी वेणुगोपाल ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता के उपाध्यक्ष चुने जाने पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि विद्वान होने के साथ ही थम्बीदुरई इस पद के लिए दूसरी बार चुने गए हैं और उनका अनुभव सदन को सुचारू रूप से चलाने में बहुत काम आएगा. तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने उजागर किया कि जब उपाध्यक्ष पद के लिए थम्बीदुरई का नाम चल रहा था तो इस बारे में उनकी पार्टी की नेता ममता बनर्जी ने कहा कि जब थम्बीदुरई का नाम चल रहा है तो और किसी नाम पर विचार करने की कोई जरूरत ही नहीं है.

बीजू जनता दल के भृतुहरि मेहताब ने कहा कि थम्बीदुरई के विचारों की स्पष्टता है और सबको साथ लेकर चलने की क्षमता भी है. शिवसेना के अनंत गीते ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का इस बात के लिए आभार प्रकट किया कि उन्होंने सर्वसम्मति से उपाध्यक्ष चुने जाने की परंपरा को बनाए रखा. टीआरएस के जितेन्द्र रेड्डी, माकपा के पी करुणाकरन, सपा के मुलायम सिंह यादव, एलजेपी के राम विलास पासवान, तेलुगू देशम पार्टी के एम श्रीनिवासन, एनसीपी के तारिक अनवर, शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल, आम आदमी पार्टी के भगवंत सिंह मान, इंडियन नेशनल लोकदल के दुष्यंत चौटाला, राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के प्रेम कुशवाहा, पीडीपी के तारिक हमीद कारा, जेडीयू के कौशलेन्द्र कुमार, अपना दल की अनुप्रिया पटेल, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन और जेडीयू एस के एच डी देवगौड़ा ने भी थम्बीदुरई के उपाध्यक्ष चुने जाने पर उन्हें बधाई दी.

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लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने थम्बीदुरई के उपाध्यक्ष चुने जाने पर हार्दिक प्रसन्नता जताते हुए कहा कि उपाध्यक्ष को सर्वसम्मति से चुने जाने की समय की कसौटी पर खरी उतरी परंपरा आज और मजबूत हुई है. उन्होंने कहा कि थम्बीदुरई की बुद्धिमत्ता और उनके दीर्घकालिक अनुभव से सदन की गरिमा और बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि इसके अलावा व्यक्तिगत रूप से मुझे भी एक ऐसा माननीय अनुभवी साथी मिलेगा जिससे सदन को सुचारू रूप से चलाने में मदद मिलेगी.

थम्बीदुरई ने सर्वसम्मति से उपाध्यक्ष चुने जाने के लिए सदन के सभी दलों और उनके नेताओं के प्रति आभार व्यक्त किया और साथ ही अपनी पार्टी की नेता तथा तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता द्वारा उन्हें इस पद के लिए दोबारा अवसर दिए जाने के लिए उनका धन्यवाद किया.

उन्होंने महिलाओं के हितों को आगे बढ़ाने के जयललिता के प्रयासों का उल्लेख करते हुए उम्मीद जतायी कि यह सदन जल्द ही महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण देने वाले विधेयक को पारित करेगा.

थम्बीदुरई ने कहा कि वह सदन में सभी राजनीतिक दलों, समूहों और व्यक्तियों के हितों की रक्षा का भरपूर प्रयास करेंगे और निष्पक्ष रूप से सदन को चलाने का काम करेंगे जैसा कि इस पद से उम्मीद की जाती है.

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