एम्स (अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान) ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. एम्स देश का पहला ऐसा सरकारी अस्पताल बना है जिसने अब तक 50 हार्ट ट्रांसप्लांट ऑपरेशन को अंजाम दिया है. 1994 से अब तक 50 हार्ट ट्रांसप्लांट कर रिकॉर्ड बनाते हुए एम्स देश का ऐसा करने वाला पहला मेडिकल संस्थान बन चुका है.
इतना ही नहीं साल 2015-16 में 22 साल बाद पहली बार एक साल में ही Aiims ने 13 हार्ट ट्रांसप्लांट किए हैं. एम्स के निदेशक एमसी मिश्रा के मुताबिक मन की बात में PM मोदी की अपील से एम्स में ऑर्गन डोनेशन बढ़ा है. हार्ट अटैक यानि दिल की बिमारी किसी वक्त उम्रदराज लोगों में होने वाली बीमारी मानी जाती थी लेकिन बदलते वक्त के साथ अब युवाओं से लेकर बूढ़ों तक को ये बीमारी अपने काल में घेर रही है.
कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर बलराज के मुताबिक भारत में हार्ट की बीमारी पश्चिमी देशों के मुकाबले दोगुनी हो चुकी है. हमारे देश में हर साल लगभग 5 हजार मरीजों के दिल बदलने की जरुरत पड़ती है. लेकिन सिर्फ 300 से 500 मरीजों के दिल फिर धड़क पाते हैं. बाकी मरीजों के दिल या तो दवाईयों के जारिए धड़कते हैं या फिर उनकी धड़कन बंद हो जाती है. डॉक्टर संदीप सेठ के मुताबिक जिन मरीजों के दिल वक्त पर नहीं बदले जाते उसके पीछे कई कारण हैं.
पहली वजह- अंगों का दान करने वाले लोगों की खासी कमी के साथ हर सरकारी अस्पताल में इस का इलाज संभव नहीं है.
दूसरी वजह- कई बार मरीज मंहगे खर्च के चलते दिल बदलवाने में आना कानी करता है.
तीसरी वजह- कई बार तो अंग दान करने वाला भी मिल जाता और मरीज इलाज का खर्च भी उठा लेता है. पर वक्त पर वो अस्पताल नहीं पहुंचता ऐसे में 6 घंटे से ज्यादा दिल को संभाल पाना संभव नहीं है.
लिहाज़ा ज्यादा जरुरत जागरूकता की है ताकि अधिक से अधिक लोग आगे आएं और लोगों को नई जिंदगी मिले. डॉक्टरों की मानें तो हार्ट अटैक, कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक बीमारी है. इसीलिए जरुरी है कि लोग अपने दिल का ज्यादा से ज्यादा ख्याल रखें.