चीन बॉर्डर पर एयरफोर्स की तैयारियों में गुरुवार को एक और सफलता जुड़ी जब बोइंग C-17 ग्लोबमास्टर विमान चीन सीमा से महज 29 किलोमीटर दूर अरुणाचल प्रदेश के मेचुका में सफलता लैंड कराने में सफलता मिली. इस इलाके से रेल और रोड संपर्क काफी दूर है और किसी भी आपात स्थिति में विमान सेवा के जरिए पहुंचने और सामरिक तैयारियों के लिहाज से ये क्षेत्र काफी अहम है. ग्लोबमास्टर के सफल लैंडिंग से इस इलाके में सुरक्षाबलों और सैन्य-साजोसामान को तेजी से पहुंचाने की क्षमता बढ़ेगी.
एयरफोर्स की बढ़ेगी ताकत
ग्लोबमास्टर की ये लैंडिंग ऊंचे इलाकों में एयरफोर्स की सामरिक ताकत के परीक्षण की दिशा में काफी बड़ा कदम है. अभी तक वायुसेना के पास एएन-32 और सी-130 जे जैसे विमानों की लैंडिंग की क्षमता है. सी-17 ग्लोबमास्टर की लैंडिंग से दुरूह इलाके में लोगों और सामानों को जल्द पहुंचाने में मदद मिलेगी. किसी आपदा की स्थिति में राहत को जल्द और ज्यादा मात्रा में पहुंचाया जा सकेगा.
चीन बॉर्डर पर लैंडिंग की क्षमता विकसित
अरुणाचल प्रदेश में पश्चिम सियांग जिले के मेचुका स्थित एडवांस लैंडिंग ग्राउंड समुद्रतल से 6200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. वहां सिर्फ 4200 फीट का लैंडिंग एरिया है, फिर भी C-17 ग्लोबमास्टर विमान की ट्रायल लैंडिंग में सफलता मिली. इस इलाके से ट्रेन या हवाई यात्रा के लिए पहले सड़क से डिब्रूगढ़ तक का 500 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है.
सबसे बड़ा सैन्य परिवहन विमान
ग्लोबमास्टर विमान को 2013 में वायुसेना में शामिल किया गया था. सीमा पर सैनिकों और टैंकों एवं उपकरणों को जल्द से जल्द पहुंचाने की भारतीय वायुसेना की क्षमता को मजबूती देने के मकसद से सबसे बड़े 70 टन के सी-17 परिवहन विमान 'ग्लोबमास्टर' को वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया था. अमेरिकी सी-17 में करीब 80 टन की क्षमता और 150 सुसज्जित सैनिकों को ढोने की क्षमता है. इस विमान ने एयरफोर्स के बेड़े में रूस के आईएल-76 की जगह ली थी. आईएल-76 की क्षमता करीब 40 टन वजन ढोने की है.