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विमान को टैक्सीबोट से रनवे पर लाने वाली दुनिया की पहली एयरलाइन बनी Air India

एअर इंडिया को दुनिया की पहली एयरलाइन बनने का गौरव मिला है जिसने यात्रियों से भरे ए-320 विमान की कॉमर्शियल फ्लाइट के लिए टैक्सीबोट का इस्तेमाल किया.

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टैक्सीबोट का इस्तेमाल विमान को पार्किंग बे से रनवे तक खींचने के लिए जाता है
टैक्सीबोट का इस्तेमाल विमान को पार्किंग बे से रनवे तक खींचने के लिए जाता है

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  • यात्रियों से भरे विमान के लिए टैक्सीबोट का इस्तेमाल
  • पार्किंग-बे से रन-वे तक टैक्सीबोट से लाया गया विमान
एअर इंडिया को दुनिया की पहली एयरलाइन बनने का गौरव मिला है जिसने यात्रियों से भरे ए-320 विमान की कॉमर्शियल फ्लाइट के लिए टैक्सीबोट का इस्तेमाल किया. टैक्सीबोट (टैक्सिंग रोबोट) का इस्तेमाल विमान को पार्किंग बे से रनवे तक खींचने के लिए जाता है. इस दौरान विमान के इंजन बंद रहते हैं जिससे कीमती ईंधन बचता है और इंजन पर कम ज़ोर पड़ने से उसका ‘वियर एंड टियर’ घटता है.

एयर इंडिया के सीएमडी अश्विनी लोहानी ने टैक्सीबोट के कॉमर्शियल फ्लाइट के लिए इस्तेमाल की शुरुआत दिल्ली में एयरपोर्ट के टर्मिनल 3 से मुंबई के लिए एआई665 फ्लाइट को रवाना करने के साथ की.

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पायलट की ओर से नियंत्रित टैक्सीबोट सेमी-रोबोटिक टो-बार होता है. पार्किंग बे से रनवे तक विमान को टैक्सीबोट के जरिए लाने से कार्बन इमिशन कम होता है जिससे वायु की गुणवत्ता बेहतर रहती है. इन टैक्सीबोट का इस्तेमाल सिर्फ़ डिपार्टिंग फ्लाइट के लिए होता है. विमान को इस तरह पार्किंग बे से रनवे तक लाने में विमान को इंजन ऑन करने लाने की तुलना में 85% कम ईंधन का इस्तेमाल होता है. ग्रीन एविएशन इको-सिस्टम की दिशा में इस पहल से बोर्डिंग गेट पर डिकंजेशन भी कम होता है.

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एयर इंडिया के डायरेक्टर ऑपरेशन्स कैप्टन अमिताभ सिंह की अगुआई में टीम एयर इंडिया ने ये उपलब्धि हासिल की. हाल में सिंह की टीम ने एयर इंडिया को पहली भारतीय एयरलाइन बनाने का गौरव दिलाया जिसने सैन फ्रासिस्को जाने के लिए पोलर रूट का इस्तेमाल किया. इस रूट के इस्तेमाल से फ्लाइट टाइम कम हुआ और ईंधन खपत कम करने में मदद मिली.

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