तेज बारिश, गीला मौसम, पायलट की समझदारी और कुछ-कुछ भाग्य की मेहरबानी रही कि दुबई से कोझिकोड आ रही एअर इंडिया की फ्लाइट दुर्घटना के बाद दो टुकड़ों में बंट गई लेकिन विमान में आग नहीं लगी. अगर ये डरावनी कल्पना सच हो जाती तो कोझिकोड की त्रासदी का रूप बेहद भीषण हो सकता था.
लैंडिंग के दौरान कोझिकोड में तेज बारिश हो रही थी. कहा जा सकता है कि ये तेज बारिश ही कुछ यात्रियों के लिए मौत बनकर आई तो इस हादसे में जीवित बच गए लोगों को जिंदगी दे गई.
खराब था मौसम
एयर इंडिया एक्सप्रेस का ये विमान जब लैंडिंग के लिए कोझिकोड़ के आसमान पर पहुंचा तो एयरपोर्ट पर तेज बारिश हो रही थी. हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक विमान में सवार एक पैसेंजर ने कहा, "तेज बारिश को देखते हुए पायलट ने लैंडिंग के पहले ही चेतावनी दे रखी थी कि मौसम बहुत खराब है, पायलट ने दो बार सुरक्षित लैंडिंग कराने की कोशिश की, लेकिन नियंत्रण खो बैठा. लैंडिंग की अगली कोशिश में एयरक्राफ्ट रनवे से बाहर चला गया और दो हिस्सों में बंट गया."
खाई में गिरा विमान
इस वक्त प्लेन क्रू मेंबर समेत 190 लोग सवार थे. एअर इंडिया एक्सप्रेस के इस विमान की रफ्तार इतनी तेज थी कि रनवे खत्म होने के बाद 35 फीट गहरी खाई में गिर गया और तेज आवाज के साथ दो हिस्सों में बंट गया. बावजूद इसके विमान के इंजन में आग नहीं लगी. इसे एक तरह का चमत्कार ही कहा जाएगा. हालांकि लैंडिंग के दौरान तेज बारिश हो रही थी. NDRF DG ने बताया कि विमान की स्पीड तेज थी, अच्छा रहा कि विमान में आग नहीं लगी, नहीं तो हादसा काफी बड़ा हो सकता था.
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बता दें कि एक विमान में हजारों लीटर उच्च ज्वलनशील पेट्रोल होता है. अगर किसी विमान के इंजन में फ्लाइट, लैंडिंग या टेकऑफ के दौरान आग लगती है और ये आग इंजन तक पहुंच जाती है फिर अनहोनी को कोई नहीं टाल सकता है.
इस हादसे में अबतक 18 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 127 लोग जख्मी हैं. कई घायलों की हालत काफी गंभीर है.
मैंगलोर में आग का गोला बन गया था विमान
कोझिकोड के इस हादसे ने लगभग एक दशक पहले मैंगलोर में हुए इसी तरह के एक विमान हादसे की याद दिलाकर सिहरन पैदा कर थी. मई, 2010 में एयर इंडिया का एक विमान मैंगलोर एयरपोर्ट पर लैंडिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इस हादसे की वजह से तकरीबन 160 लोगों की मौत हो गई थी. हादसे के तुरंत बाद विमान के इंजन में आग लग गई थी और विमान आग का गोला बन गया था.