केंद्र सरकार की एक समिति ने कहा है कि एअर इंडिया के निजीकरण से हज सेवाओं के परिचालन पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा और उसने अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय एवं नागर विमानन मंत्रालय को यह सुझाव दिया कि अगर प्रस्तावित विनिवेश को लेकर आगे बढ़ा जाता है तो वे अपनी योजना तैयार रखें.
‘हज नीति 2018-22’ तैयार करने के लिए गठित समिति ने यह भी सुझाव दिया कि हज के लिए उड़ानों के लिए वैश्विक निविदा प्रक्रिया के विकल्प को लेकर सऊदी अरब सरकार से बातचीत की जाए. पूर्व आईएएस अधिकारी अफजल अमानुल्ला इस समिति के संयोजक थे. समिति ने इसका भी संज्ञान लिया है कि हज यात्रियों को लेकर जाने वाले विमान वापसी में खाली आते हैं.
समिति ने कहा है कि विमानों में परोसे जाने वाले भोजन बिना मसाले का होना चाहिए और हज यात्रियों के उनके क्षेत्र के हिसाब से भोजन परोसा जाना चाहिए. इस समिति ने कहा, ‘अगर एअर इंडिया का निजीकरण होता है तो इसका हज सेवा के परिचालन पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा. भारतीय हज समिति और मंत्रालयों को इस बारे में विचार करना होगा और योजना बनानी होगी कि स्थिति आने पर इस चुनौती से कैसे निपटा जाए’.
विनिवेश को मिली मंजूरी
बीते 29 जून को ही एअर इंडिया को खस्ता हालत से उबारने के लिए केंद्र सरकार ने एअर इंडिया के विनिवेश को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी. कैबिनेट की बैठक में सरकार ने 'महाराजा' की हिस्सेदारी को बेचने का फैसला लिया था. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने पहले ही केंद्र से इसके विनिवेश को मंजूरी देने की सिफारिश की थी.