तस्वीर में दिख रही अजीफा खातून पहली नजर में तो किसी भी छोटी लड़की की तरह दिखती है. हर उस लड़की की तरह जिसे अपने भाई-बहनों के साथ खेलना पसंद है और जिसकी मां बीच-बीच में उसे अपने गले से लगा लेती है.
लेकिन अजीफा एक छोटी बच्ची की तरह दिखती तो है, लेकिन असल में उसकी उम्र 19 साल है. जी हां, पश्चिम बंगाल के मीरापार की रहने वाली अजीफा दो साल की भी नहीं हुई थी कि उसके शरीर ने बढ़ना बंद कर दिया.
अजीफा का वजन सिर्फ 7.7 किलोग्राम है और अब भी उसे चम्मच से खाना खिलाना पड़ता है. यही नहीं अजीफा की 42 वर्षीय मां को हर वक्त उसे गोद में लेकर घूमना पड़ता है.
अजीफा जन्म के वक्त स्वस्थ थी. लेकिन दो साल की होने से पहले ही उसने अचानक बढ़ना बंद कर दिया. शुरुआत में डॉक्टरों ने कहा कि वह फिर से बढ़ने लगेगी. उसके बाद उन्होंने अजीफा की हालत के लिए कैंसर को जिम्मेदार ठहराया. फिर उन्होंने कहा कि हॉर्मोन डिस्ऑर्डर की वजह से अजीफा की ऐसी हालत हो गई है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि अजीफा लैरोन सिंड्रोम से जूझ रही है. यह एक रेयर जेनेटिक कंडीशन है और माना जाता है कि दुनिया में केवल 300 लोग इससे प्रभावित हैं.
जो लोग लैरोन सिंड्रोम के शिकार होते हैं उनमें इंसुलिन हार्मोन की कमी पाई जाती है. इंसुलिन शरीर में कोशिकाओं के विकास में मदद करता है. अगर यह हर्मोन शरीर में बहुत ज्यादा बनने लगता है तो कम उम्र में ही ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा हो सकता है. कहने का मतलब यह है कि लैरोन सिंड्रोम से ग्रसित लोगों को कभी भी कैंसर या मधुमेह नहीं हो सकता.
अजीफा की छोटी बहनें रीनी (17 साल), राबिया (14 साल) और भाई दानिश (8 साल) उसके सामने खंभे जैसे दिखते हैं. वहीं अजीफा सिर्फ मां, बाबा और दीदी बोल पाती है. अजीफा शारीरिक रूप से दो साल के बच्चे जैसे दिखती है, लेकिन बौद्धिक स्तर 20 साल के शख्स जितना है.
अपने भाई-बहनों की तरह स्कूल जाने के बजाए अजीफा पड़ोस के बच्चों के साथ खेलकर अपना समय बिताती है. वह बिना किसी की मदद के बस दो-चार कदम ही चल पाती है.
अजीफा की मां कहती हैं, 'उसके चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती है, लेकिन उसे इस हालत में देखकर बहुत बुरा लगता है'.
उसके पिता के मुताबिक अजीफा एक सुंदर बेटी है और वह हर वक्त उनके घर में खुशियां बिखेरती रहती है. वो ज्यादा बोल नहीं पाती है, लेकिन उसे पता रहता है कि उसके आसपास क्या चल रहा है.