मुम्बई में वर्ष 2008 के आतंकवादी हमले के दोषी पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को फांसी से पहले अंतर्राष्ट्रीय प्रोटोकॉल के मुताबिक पाकिस्तान को सूचित किया गया था.
कसाब को बुधवार को पुणे में फांसी दी गई. सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान को कसाब की ओर से दिए गए पाकिस्तान के एक पते के सम्बंध में भी बताया गया.
इससे पहले सुबह केंद्रीय गृह मंत्री सुशीलकुमार शिंदे ने बताया कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पांच नवंबर को कसाब की दया याचिका खारिज कर दी थी.
शिंदे ने मीडिया से कहा, ‘पाकिस्तान को सूचित किया गया था लेकिन उसकी ओर से कसाब के शव की मांग नहीं की गई.’
उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति ने पांच नवंबर को कसाब की दया याचिका खारिज कर दी थी. मैंने आठ नवंबर को इसे महाराष्ट्र सरकार के पास भेज दिया था और उसी दिन कसाब को 21 नवंबर को सुबह 7.30 बजे फांसी दिए जाने का निर्णय लिया गया था.’
उन्होंने बताया, ‘पाकिस्तान ने उसे कसाब की फांसी के सम्बंध में सूचित करने के लिए लिखा गया पत्र स्वीकार नहीं किया और उसे वापस लौटा दिया. इसलिए हमने उन्हें एक फैक्स भी भेज दिया.’
शिंदे ने कहा कि पाकिस्तान ने कसाब का शव लेने से इंकार कर दिया इसलिए उसे भारत में ही दफनाया गया.
जब शिंदे से पूछा गया कि क्या कसाब को फांसी से कानून-व्यवस्था पर असर पड़ेगा. इस पर उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि यदि कसाब को भारत में दफनाया गया तो इससे कोई परेशानी होगी.’
केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि यदि कसाब के परिवार की ओर से उसका शव सौंपे जाने का अनुरोध किया जाता तो भारत इस पर विचार करता.
कसाब की फांसी को लेकर बरती गई गोपनीयता के सम्बंध में पूछे जाने पर शिंदे ने कहा, ‘इस तरह के मामलों को गोपनीय रखना पड़ता है लेकिन जैसा कि मैंने पूर्व में कहा था कि जब कभी भी हमें कसाब की याचिका पर राष्ट्रपति का जवाब मिल जाएगा तब हम आवश्यक कार्रवाई करेंगे और हमने ऐसा किया.’
मुम्बई में महाराष्ट्र के गृह मंत्री आर.आर. पाटील ने कहा, ‘यह हमारे राष्ट्र पर हुए जघन्य हमले में मारे गए निर्दोष लोगों और शहीद पुलिस अधिकारियों को हमारी श्रद्धांजलि है.’
कसाब 26 नवंबर, 2008 की रात मुम्बई में आतंकवादी हमला करने वाले 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों में शामिल था. इस आतंकवादी घटना में 26 से 29 नवंबर के बीच 166 लोग मारे गए और 300 घायल हुए थे.