राजस्थान के अजमेर में घूसखोरी का ऐसा रैकेट सामने आया है जो न कभी आपने सुना होगा और न देखा होगा. एसपी, एडिशनल एसपी और सीओ, सब घूसखोरी के इस रैकेट के हिस्से थे. सबसे हैरानी की बात ये कि एसपी साहब को ईमानदारी के लिए इसी 26 जनवरी को राष्ट्रपति महोदय सम्मानित करने वाले थे.
एंटी करप्शन ब्यूरो ने अजमेर के एसपी को दलाल के जरीए तीन लाख रुपए घूस लेते हुए पकड़ा. कहानी यहीं खत्म नहीं होती. कप्तान साहब के घर छापा पड़ा तो कई ऐसे कागजात मिले जो पूरे रैकेट का पर्दाफाश करते हैं.
पुलिस ने जब इस जाल से जुड़े दलाल से पूछताछ की तो पता चला कि एसपी साहब के मातहत पूरा पुलिस यूनिट ही उगाही के खेल में फंसा है. पूरा रैकेट एक संगठन की तरह काम करता था.
एसपी राजेश मीणा तो इसमें शामिल थे ही, सीओ अजय सिंह भी पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं. मामले में एएसपी लोकेश सोनवाल फरार है. इन लोगों ने जोधपुर के एक शख्स रामदेव को अपना एजेंट बना रखा था. इन अफसरों के पास जो कोई भी आता था, उसे दलाल रामदेव के जरिए ही आना पड़ता था. दलाल रामदेव भी लाल बत्ती की गाड़ी में घूमता था और पैसे लेकर मामला सेट करता था.
किसी भी केस के लिए लोगों को पैसे तो देने ही पड़ते थे. इन लोगों ने सभी थानों को वसूली का टारगेट भी दे रखा था. छोटे थानों को रोजाना 10 से 20 हजार देने पड़ते थे. बड़े थानों का टारगेट पर डे 50 हजार रुपये का था.
पकड़ी गई रकम भी 13 थानों के SHO से वसूल कर एसपी के घर दलाल लाया था. एसपी के घर से एक डायरी भी मिली है जिसमें सभी थानों से लेनदेन की एंट्री मिली है. पुलिस इन थानेदारों को भी आरोपी बना सकती है.
जांच में सामने आया है कि हर सोमवार को एडिशनल एसपी का मैसेज हर थाने के SHO के पास पहुंच जाता था कि जल्दी आओ रामदेव जी आ गए हैं. मैसेज पढ़कर टारगेट पूरा करने के लिए हड़कंप मच जाता था लेकिन कहा ये जा रहा है कि बिना बड़े अधिकारियों की मिलीभगत के ऐसा गोरखधंधा नहीं हो सकता. शक इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि एसपी को न केवल आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिला बल्कि राष्ट्रपति पदक के लिए भी नाम भेजा गया है.