IAS दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन पर मचे बवाल के बीच यूपी के लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने यह बयान दिया है कि कुछ पार्टियां दंगा कराना चाहती थीं. एक कार्यक्रम में शिवपाल ने कहा, 'कुछ पार्टियों की साजिश के तहद दुर्गा ने वहां कार्रवाई की थी.' उन्होंने दुर्गा के निलंबन को सही फैसला करार देते हुए कहा कि अखिलेश सोच समझ कर फैसला लेते हैं.
उन्होंने कहा, 'गौतमबुद्धनगर की SDM रही दुर्गा शक्ति नागपाल ने विपक्षी दलों की साजिश में फंसकर अदूरदर्शितापूर्ण तरीके से मस्जिद की दीवार गिरवायी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें निलम्बित करके परिपक्वतापूर्ण कदम उठाया है.'
यादव ने ‘छोटे लोहिया’ के नाम से मशहूर जनेश्वर मिश्र की 81वीं जयन्ती पर आयोजित कार्यक्रम से अलग एक बातचीत में कहा, ‘कई विपक्षी दल सांप्रदायिक दंगा भड़काने की साजिश कर रहे थे. षड्यंत्र के तहत ही उन्होंने नागपाल को मस्जिद की दीवार उठाये जाने को लेकर शिकायती पत्र दिया था. उनकी साजिश में आकर नागपाल ने दीवार गिरवा दी.’
उन्होंने कहा, ‘मस्जिद की दीवार गिरने से कभी भी कहीं भी दंगा हो सकता था. दीवार नहीं गिरनी चाहिये थी. उस मामले को बातचीत से सुलझाया जा सकता था. जब किसी को एतराज नहीं था तो दीवार क्यों गिराई गयी.’
इस सवाल पर कि क्या मुख्यमंत्री ने अनुभवहीनता के कारण दुर्गा शक्ति के निलम्बन की कार्रवाई की, यादव ने सफाई दी कि अखिलेश सांसद रहे हैं. उनमें अनुभव की कमी नहीं है. उन्होंने परिपक्वतापूर्ण निर्णय लिया. प्रदेश में अगर कोई अधिकारी इस तरह की कार्रवाई करेगा तो उसके खिलाफ कदम उठाये जाएंगे.’
गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी को निलम्बित करने की अपने वरिष्ठ मंत्रिमण्डलीय सहयोगी आजम खां की मांग पर यादव ने कोई टिप्पणी नहीं की. साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा उनकी पार्टी द्वारा इस मामले पर दबाव बनाये जाने पर भी उन्होंने कुछ कहने से इनकार कर दिया.
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘प्रशासन का कहना है कि इस मस्जिद के निर्माण की अनुमति नहीं होने के कारण यह कार्यवाही की गयी है.’ रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मस्जिद के निर्माण के लिये सपा के घोषित लोकसभा प्रत्याशी नरेन्द्र भाटी ने तीन महीने पहले 51 हजार रुपये दिये थे तथा उसका उद्घाटन किया था.
गौरतलब है कि खनन माफिया के खिलाफ अभियान चलाने की वजह से सुखिर्यों में आयी गौतमबुद्धनगर की उपजिलाधिकारी दुर्गाशक्ति नागपाल को रबुपुरा क्षेत्र के कादलपुर गांव में एक निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार गिरवाने से साम्प्रदायिक तनाव फैलने के आरोप में गत 27 जुलाई को निलम्बित कर दिया गया था. जबकि विपक्षी दलों का आरोप है कि इस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई खनन माफिया के कहने पर की गयी है.