उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीख को नए साल के पहले हफ्ते में घोषित किए जाने का कयास लग रहा था. लेकिन इससे पहले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का एक पैंतरा और सपा परिवार टूट की कगार पर पहुंच गया. क्या तारीख के ऐलान से ठीक पहले मुख्यमंत्री की तरफ से पार्टी प्रमुख मुलायम यादव को उम्मीदवारों की सूची भेजना सिर्फ पारिवारिक कलह को एक निष्कर्ष तक पहुंचाने की कवायद थी.
गौर करें इन 10 बातों पर-
1. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की ताजी कलह का प्रशांत किशोर की टीम ने स्वागत किया.
2. टीम पीके का दावा है कि सपा की यह कलह उनके उम्मीद पर खरी उतर रही है.
3. टीम पीके आगामी विधानसभा चुनावों में अखिलेश कैंप के साथ गठजोड़ पर काम कर रही है.
4. टीम पीके को उम्मीद थी कि इस कलह में या तो सपा मुखिया मुलायम सिंह अखिलेश की बात मान लें नहीं तो अखिलेश मुलायम के कुनबे को छोड़कर बाहर आ जाएं.
5. बीते दो दिन से मची नई कलह के बाद से टीम पीके लगातार मुख्यमंत्री अखिलेश के संपर्क में बनी हुई है.
6. टीम पीके का दावा है कि वह अखिलेश को समाजवादी पार्टी की इमेज से अलग करने की कोशिश में थे.
7. लखनऊ से लेकर दिल्ली तक के सियासी गलियारे में कयास लगाया जा रहा है कि अब अखिलेश के लिए नई पार्टी बनाने का रास्ता साफ हो चुका है.
8 इस संभावना को भी नहीं नकारा जा रहा है कि मुख्यमंत्री अखिलेश अपनी टीम के साथ कांग्रेस में शामिल होकर आगामी विधानसभा चुनवों में 300 से अधिक सीट जीतने की कोशिश करेंगे.
9. बीते दो दिनों से जारी कलह के बीच कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद लखनऊ में डेरा डाल कर बैठे हैं और पार्टी आलाकमान को पल-पल की जानकारी दे रहे हैं.
10. अखिलेश की कवायद बीते 5 साल के अपने भ्रष्टाचार मुक्त और साफ छवि के शाषन के साथ जनता के बीच जाकर बीजेपी के प्रभाव और मोदी लहर को काउंटर करने की है.