चुनाव से पहले अखिलेश सरकार दनादन घोषणाएं कर रही है. गुरुवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए यूपी सरकार ने 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल कर लिया. अखिलेश सरकार के मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
बुधवार को ही अखिलेश सरकार ने कई घोषणाएं की थीं. शिक्षकों व कर्मियों को चुनावी तोहफा दिया गया था. राज्य कर्मियों की भांति सहायता प्राप्त शैक्षिक संस्थानों, स्वायत्तशासी संस्थाओं व निगमों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मियों के मामले में पति-पत्नी दोनों को मकान किराया भत्ता देने की घोषणा हुई. सरकारी नौकरियों में पिछड़े वर्गो की तरह अब भुर्तिया जाति को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा.
इन जातियों में मल्लाह,केवट, कहार, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, राजभर, कश्यप, तुरहा, गोडिया, बिंद, भर, धीवर, धीमर, शिल्पकार, मंझवार, गोंड, बेलदार, सरीखी कुल 17 जातियो को शामिल किया गया है. यूपी चुनाव के मुहाने पर खड़ा है और 17 अति पिछड़ी जातियों को दलित में शामिल करने का फैसला अखिलेश सरकार का चुनाव में तुरुप का पत्ता साबित हो सकता है.
हालांकि विधानसभा से पारित होने के बाद इसे केंद्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजा जायेगा. आपको बता दें कि अखिलेश सरकार कांग्रेस के सरकार के वक्त भी ऐसा ही प्रस्ताव भेज चुकी थी लेकिन उसे केंद्र सरकार ने ठुकरा दिया था. एकबार फिर अखिलेश सरकार ने ये फैसला किया है लेकिन इसे चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है.
अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रविदास मल्होत्रा ने दावा किया की इस बार इसे मानना केंद्र की मजबूरी होगी क्योंकि इसे कैबिनेट और विधानसभा की मजूरी के बाद केंद्र को भेजा जायेगा. बहरहाल ये अखिलेश सरकार का चुनावी दांव है लेकिन इसका कितना फायदा मिलता ये तो चुनाव में तय हो जाएगा.
गौरतलब है कि यूपी की तमाम पिछड़ी जातियों की तरफ से ऐसी मांग आती रही है. हालांकि इसको लेकर विवाद भी रहा है, क्योंकि जो जातियां पहले से अनुसूचित जाति के दायरे में उन्हें इससे दिक्कत महसूस होती है. यह इसलिए कि 17 नई जातियों के शामिल होने से अनुसूचित जाति के तहत मिलने वाला कोटा अब ज्यादा जातियों में बंट जाएगा.