यूपी में निर्माण कार्यों में लगे मजदूर जल्द ही चमचाती साइकिलों से अपने काम पर जाते हुए दिखाई पड़ेंगे. अखिलेश यादव ने ऐसे मजदूरों में नई साइकिलें मुफ्त में बंटवाने का निर्णय लिया है. सरकार के इस फैसले का लाभ उन करीब 60 हजार मजदूरों को होगा जो श्रम विभाग में रजिस्टर्ड हैं.
असल में पिछले वर्ष सूबे में सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश में मजूदरों की माली हालत सुधारने के लिए श्रम विभाग को एक कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए थे. इसी वर्ष जून में जो कार्ययोजना बनकर तैयार हुई. उसके मुताबिक मजदूरों को मुफ्त साइकिलें न देकर इसकी कीमत का केवल 30 फीसदी इनसे लिया जाए. सूत्रों के मुताबिक मजदूरों को साइकिलें देने के एवज में उनसे कुछ पैसा लेने की प्रक्रिया पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने असहमति जताई थी. इसके बाद 27 अगस्त को ' उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की बैठक में निर्माण कार्य में लगे सूबे के सभी रजिस्टर्ड मजदूरों को मुफ्त साइकिलें देने की योजना पर मुहर लगा दी गई. इस योजना में तकरीबन 10 करोड़ रुपए खर्च आने का अनुमान है.
इसके अलावा मजदूरों के लिए तीन नई योजनाएं परिवार नियोजन, टोल फ्री हेल्पलाइन की स्थापना और स्वास्थ्य बीमा योजना भी शुरू करने का निर्णय लिया गया है. यही नहीं महिला मजूदरों की सहूलियत पर अब सरकार का का विशेष ध्यान रहेगा. हर निर्माणकर्ता को अब अपने निर्माण स्थल पर महिला मजदूरों के छह वर्ष से कम बच्चों के लिए एक 'क्रेच' का निर्माण भी करना होगा.
यह योजना अगले नवंबर महीने से शुरू होने की उम्मीद है. चूंकि साइकिल सूबे की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी का चुनाव निशान है ऐसे में इस योजना के पीछे विपक्षी दल सरकार की राजनीतिक मंशा भांप रहे हैं. प्रदेश बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक कहते हैं 'चुनाव के करीब आते ही सपा सरकार ऐसी लुभावनी योजनाएं लेकर आ रही है. चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की जाएगी.