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अखिलेश का विकास क्या काट सकेगा नोएडा का अंधविश्वास?

नोएडा का यह अभिशाप पहली बार 1988 में तब सामने आया जब तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने नोएडा यात्रा की और उसके बाद हुए चुनावों में करारी हार का सामना किया. इसके बाद एनडी तिवारी, मायावती, कल्याण सिंह और मुलायम सिंह भी इससे बच नहीं सके.

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अखिलेश का विकास रथ पहुंचेगा नोएडा
अखिलेश का विकास रथ पहुंचेगा नोएडा

दिसंबर के पहले हफ्ते में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का विकास रथ नोएडा पहुंचेगा. अब सवाल यह है कि क्या तीन दशक पुरानी मनहूसियत हटेगी नोएडा के नाम से? या फिर अखिलेश यादव को चुनाव से पहले ही अपनी गद्दी गंवानी पड़ सकती है?

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प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री ने साढ़े चार साल पहले खुद को टेक-सैवी इंजीनियर प्रोजेक्ट कर सत्ता की कमान संभाली थी. मुख्यमंत्री पद पर बीत चुके साढ़े चार साल तक उन्होंने नोएडा से जुड़ी मनहूसियत के चलते कभी यहां पांव नहीं रखा. जब जरूरत पड़ी तो राज्य के सबसे बड़े आर्थिक केन्द्र में उद्घाटन अथवा मीटिंग का काम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूरा कर लिया.

अब अखिलेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पूरी संभावना है कि अपने विकास रथ पर सवार होकर मुख्यमंत्री नोएडा जरूर पहुंचेंगे . उनके स्वागत के लिए नोएडा स्टेडियम को तैयार करने के निर्देश दिए जा चुके हैं और इस आशय काम भी जोर-शोर से शुरू किया जा चुका है. नोएडा स्टेडियम में अपनी सभा के दौरान अखिलेश क्षेत्र के विकास के लिए कई अहम घोषणाएं करेंगे और कुछ इंफ्रास्टक्चर प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करेंगे. सूत्रों के मुताबिक नोएडा में तैयारी और सुरक्षा को लेकर जिलाधिकारी ने पुलिस और नोएडा अथॉरिटी के आला अधिकारियों के साथ मुलाकात भी कर ली है.

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लोगों में आम धारणा है कि नोएडा की यात्रा हर उस सत्तारूढ़ मुख्यमंत्री के ऊपर किसी अभिशाप की तरह काम करता है. यात्रा के बाद वह कुछ ही दिनों में अपनी कुर्सी गंवा बैठता है. अभी तक अखिलेश संभवत: नोएडा के इसी अभिशाप के चलते यात्रा करने से बचते रहे हैं. उन्होंने यमुना एक्सप्रेस वे और ग्रेटर नोएडा के डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का उद्घाटन लखनऊ में बैठकर रिमोट कंट्रोल की मदद से किया था.

नोएडा का यह अभिशाप पहली बार 1988 में तब सामने आया जब तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने नोएडा यात्रा की और उसके बाद हुए चुनावों में करारी हार का सामना किया. इसके बाद मुख्यमंत्री बने नारायण दत्त तिवारी भी नोएडा यात्रा के बाद कुर्सी से हटा दिए गए. यह सिलसिला हाल में 2011 में मुख्यमंत्री मायावती के नोएडा यात्रा में दिखा जब वह तुरंत बाद हुए विधानसभा चुनावों में सत्ता से बाहर चली गईं. इनके अलावा मुलायम सिंह यादव और कल्याण सिंह भी नोएडा के इस अभिशाप से बच नहीं सके.

अब देखना यह है कि क्या मुख्यमंत्री अखिलेश इस अभिशाप को भुलकर अपने विकास रथ पर सवार होकर नोएडा पहुंचते हैं ? क्या नोएडा का यह अभिशाप आगामी चुनावों में एक बार फिर अपना असर दिखाएगा?

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