मायावती सरकार के 10 मंत्री विजिलेंस जांच के घेरे में हैं. इन पर भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, सरकारी जमीनों पर कब्जा, राजस्व हानि, पद का दुरुपयोग और आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने जैसे आरोप हैं. इनमें से कुछ सलाखों के पीछे हैं और जल्द ही कुछ और माननीय जेल पहुंचाए जाएंगे.
बीएसपी सरकार के तीन पूर्व मंत्रियों- रंगनाथ मिश्र, अवध पाल सिंह यादव और बादशाह सिंह पर आरोपों को सही पाया गया है. सरकार ने इन मंत्रियों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल करने पर अपनी सहमति दे दी है. विजिलेंस को जरूरी तैयारी करने के लिए भी कहा गया है.
विजिलेंस को पूर्व मंत्री चंद्रदेव राम यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में मुकदमा दर्ज करने की भी अनुमति मिल गई है. चंद्रदेव के खिलाफ जल्दी ही भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज होगा. फिलहाल वह लैकफेड के घोटाले में जेल में बंद हैं.
चंद्रदेव मायावती सरकार के ऐसे चौथे मंत्री हैं जिनके खिलाफ विजिलेंस मुकदमा दर्ज करने जा रहा है. इससे पहले रंगनाथ मिश्र, बादशाह सिंह और अवधपाल यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया किया है.
न्याय विभाग मामलों का परीक्षण कर जल्द ही शासन को अपनी रिपोर्ट सौंपने की मशक्कत में जुटा है. शासन स्तर पर सुगबुगाहट तेज हो गई है. सरकार की तरफ से जल्द ही इसे हरी झंडी मिलने के भी आसार हैं. इसके साथ ही पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, राकेशधर त्रिपाठी, रामवीर उपाध्याय और बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी गई है.
विजिलेंस ने सभी 10 पूर्व मंत्रियों के खिलाफ ठोस सबूत जुटा लिए हैं और सरकार से अनुमति मिलते ही जांच एजेंसी गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू कर देगी. इन पर भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, सरकार जमीनों पर कब्जा, राजस्व हानि, पद का दुरुपयोग और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की जांच चल रही है. आरोपपत्र दाखिल होते ही अवधपाल सिंह यादव की गिरफ्तारी हो सकती है जबकि दो पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्र व बादशाह सिंह पहले से ही जेल में हैं.
प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि भ्रष्टाचार में संलिप्त और गड़बड़ी करने वाले मंत्रियों के खिलाफ कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी. उनको बख्शा नहीं जाएगा. मायावती सरकार के केवल 10, नहीं अभी और भी कई मंत्री जेल जाने को तैयार रहें.
गौरतलब है कि लोकायुक्त की सिफारिश के बाद प्रदेश सरकार के आदेश पर विजिलेंस ने जांच शुरू की थी. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बीएसपी के पूर्व मंत्रियों के खिलाफ लंबित जांच में देरी पर कई बार नाराजगी जताई और जांच को एक माह में पूरा करने के लिए कहा था. अब जांच पूरी हो गयी है और कई मंत्रियों के जेल जाने की नौबत आ गई है. जेल जाने से बचने के लिए कुछ पूर्व मंत्री सुप्रीम कोर्ट भी गए थे, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली.
ईओडब्ल्यू ने एक सामाजिक कार्यकर्ता की शिकायत पर प्रदेश के गृह विभाग के पूर्व प्रमुख सचिव कुंवर फतेह बहादुर व पूर्व एडीजी आरएस सिंह के खिलाफ जांच शुरू की है. राजधानी की एक सामाजिक कार्यकर्ता की शिकायत का संज्ञान लेते हुए इस संबंध में प्रारंभिक जांच ईओडब्ल्यू के अपर पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र बहादुर को सौंपी गई है.
यह केस दो आपराधिक मुकदमों में कथित रूप से जान बूझकर सोची-समझी साजिश के तहत अभियुक्तों की गलत ढंग से मदद पहुंचाने से संबंधित है.
सामाजिक कार्यकर्ता के अनुसार, इनमें पहला प्रकरण गजरौला की एक कंपनी से संबंधित है जो इस कंपनी के डायरेक्टरों द्वारा फर्जी एंट्री के आधार पर करीब 3261 लाख रुपये की सब्सिडी हड़पने के बारे में है. दूसरे मामले में अमरोहा की एक कंपनी के डायरेक्टरों पर लुभावने वायदे कर 45.99 लाख रुपये गबन करने का आरोप है.
सामाजिक कार्यकर्ता के अनुसार, इन दोनों मामलों में ईओडब्ल्यू ने कई बार आरोपपत्र भेजा था. उन्होंने लोकायुक्त से इनकी जांच कराने की मांग की थी जिस पर लोकायुक्त ने राज्य सरकार को कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. सामाजिक कार्यकर्ता की शिकायत पर मामला दर्ज हुआ है.