दुनिया का सबसे खूंखार आतंकी रहा ओसामा बिन लादेन का बचपन और शुरुआती जिंदगी काफी अच्छी थी. वह पढ़ने-लिखने में होशियार और बेहद शर्मीला लड़का था. 20 साल की उम्र तक उसका आतंक से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं था. यह बात लादेन की मां आलिया घानेम ने बताई.
अलकायदा सरगना लादेन की मौत के करीब सात साल बाद पहली बार मीडिया के सामने आईं घानेम ने कहा कि जब ओसामा बिन लादेन सऊदी अरब के जेद्दा की किंग अब्दुल्लाजीज यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स की पढ़ाई कर रहा था, तभी कुछ लोगों के संपर्क में आया, जिन्होंने उसका ब्रेनवॉश कर दिया.
इसके बाद वो कट्टरपंथ और आतंक की राह पर चलने लगा. इसके बाद आगे चलकर यही दुनिया का सबसे खूंखार आतंकी बन गया था, जिसको अमेरिका ने 2008 में पाकिस्तान में मार गिराया था. 'द गार्जियन' अखबार को दिए इंटरव्यू में घानेम ने बताया कि जब लादेन 20 साल का था, तब वह बेहद ताकतवर और दिल का अच्छा इंसान था, लेकिन बाद में वो अचानक बदल गया था. जेद्दा की किंग अब्दुल्लाजीज यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही लादेन कट्टरपंथी बना था.
लादेन के जन्म के कुछ समय बाद घानेम ने अपने पहले पति से तलाक ले लिया और दूसरी शादी कर ली थी. अब उनका एक परिवार है. लादेन की मौत को इतना समय बीत चुका है, लेकिन घानेम को आज भी उसको याद करती हैं. वो कहती हैं कि लादेन उनकी पहली औलाद था और वह काफी शर्मीला था. लादेन उनसे बहुत ज्यादा प्यार करता था. घानेम ने वर्दी पहने ओसामा बिन लादेन की तस्वीर आज भी अपने पास रखी हुई है.
घानेम का कहना है कि किंग अब्दुल्लाजीज यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान लादेन की मुलाकात अब्दुल्ला अजाम नाम के एक शख्स से हुई, जो मुस्लिम ब्रदरहुड का सदस्य था, जिसे सऊदी अरब से निर्वासित कर दिया गया था और बाद में वह ओसामा का धर्मगुरु बना. उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी के लोगों ने लादेन को बदल दिया था और वह एक अलग तरह का आदमी बन गया.
जब घानेम से पूछा गया कि क्या उनको कभी ऐसा महसूस हुआ कि उनका बेटा लादेन जिहादी बन जाएगा, तो उन्होंने कहा, 'यह मेरे दिमाग में कभी नहीं आया. जब हमें इसकी जानकारी हुई कि लादेन आतंकी बन गया है, तब हमको बहुत दुख हुआ. मैं नहीं चाहती थी कि यह किसी और के साथ हो. उसने सब कुछ इस तरह क्यों बर्बाद कर दिया.' घानेम ने लादेन को आखिरी बार साल 1999 में अफगानिस्तान में देखा था और उससे दो बार मिलने गई थीं. उस समय ओसामा कंधार के ठीक बाहर अपने ठिकाने में रह रहा था.
ओसामा बिन लादेन 1980 के दशक में रूस के कब्जे के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए अफगानिस्तान पहुंचा था. घानेम और उनके दूसरे पति के बेटे हसन का कहना है कि शुरुआत में लादेन से जो भी मिलता था, वो उसका बहुत सम्मान करता था. पहले हमको भी उस पर गर्व होता था. यहां तक कि सऊदी सरकार भी उसके साथ अच्छे रिश्ते रखती थी, लेकिन फिर बाद में उसके आतंक का चेहरा सामने आया और सब कुछ बदल गया.