हैदराबाद की प्रसिद्ध मक्का मस्जिद में 18 मई 2007 को हुए ब्लास्ट मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. इस मामले में आरोपी स्वामी असीमानंद समेत सभी 5 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया. फैसला सुनाने के लिए आरोपी असीमानंद को नमापल्ली कोर्ट में लाया गया था. स्वामी असीमानंद इस मामले के मुख्य आरोपियों में से एक थे. फिलहाल इस मामले की जांच NIA कर रही थी.
दरअसल जुमे की नमाज के दौरान हैदराबाद के ऐतिहासिक मक्का मस्जिद में हुए धमाके ने पूरे देश में सनसनी मचा दी थी. जानिए इस केस की जांच कैसे स्थानीय पुलिस से CBI को होते हुए फिर NIA तक पहुंची, और फिर कब-कब क्या हुआ.
- 18 मई 2007 को जुमे की नमाज के दौरान हैदराबाद की मक्का मस्जिद में एक ब्लास्ट हुआ था. इस धमाके में 9 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 58 लोग घायल हुए थे.
- सीबीआई ने 2010 में सबसे पहले मक्का मस्जिद मामले में असीमानंद को गिफ्तार किया था, लेकिन 2017 में उन्हें जमानत मिल गई थी.
- इस घटना के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए हवाई फायरिंग की थी, जिसमें पांच और लोग मारे गए थे. इस घटना में 160 चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे.
- स्थानीय पुलिस की शुरुआती जांच के बाद ये मामला सीबीआई को सौंप दिया गया. सीबीआई अधिकारियों ने 68 चश्मदीद की गवाही दर्ज की थी. इनमें से 54 गवाह अब गवाही से मुकर गए. सीबीआई ने आरोपपत्र भी दाखिल किया.
- अप्रैल 2011 में इस केस को एनआईए को सौंप दिया गया. इस केस के एक प्रमुख अभियुक्त और आरएसएस के कार्यवाहक सुनील जोशी को जांच के दौरान ही गोली मार दी गई थी.
- जांच के बाद इस घटना को लेकर दस लोगों को आरोपी बनाया गया. इसमें अभिनव भारत के सभी सदस्य शामिल है. स्वामी असीमानंद सहित, देवेन्द्र गुप्ता, लोकेश शर्मा उर्फ अजय तिवारी, लक्ष्मण दास महाराज, मोहनलाल रतेश्वर और राजेंद्र चौधरी को मामले में आरोपी बनाया गया था. लेकिन NIA ने इस मामले में 5 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी और सभी को कोर्ट ने बरी कर दिया.
गौरतलब है कि 18 मई 2007 को दोपहर 1 के आसपास मस्जिद में धामाका हुआ था जिसमें 5 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी और 4 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे, बाद में इन चारों की भी मौत हो गई थी. बाद में इस मामले को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था लेकिन फिर यह मामला NIA के पास चला गया.