लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में वोटिंग से पहले सियासी युद्धभूमि में तब्दील हो चुके पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी अधिकारी और कोलकाता के पुलिस कमिश्नर रहे राजीव कुमार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर लगी रोक को हटा दिया है.
हालांकि कोर्ट से उन्हें अग्रिम जमानत लेने के लिए एक हफ्ते का समय मिला है ताकि वह हाई कोर्ट में अपील दायर कर सकें लेकिन उनके लिए सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि पश्चिम बंगाल में बीते तीन हफ्ते से सभी वकील हड़ताल पर हैं जिसकी वजह से वह कोलकाता हाई कोर्ट में उन्हें अपील दायर नहीं कर पाएंगे.
पश्चिम बंगाल का कोई भी वकील उनके लिए हाई कोर्ट नहीं जा पाएगा. ऐसे में राजीव कुमार के पास सीबीआई की गिरफ्तारी से बचने का एक मात्र रास्ता यही है कि वह फिर से सुप्रीम कोर्ट में ही याचिका दाखिल करें.
क्या है पूरा मामला
पश्चिम बंगाल के चर्चित शारदा चिटफंड घोटाला मामले में कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार का नाम सामने आने के बाद सीबीआई उनसे पूछताछ करना चाहती थी. इसके लिए सीबीआई कोलकाता में उनके आवास पर पहुंची थी लेकिन बंगाल पुलिस ने सीबीआई के अधिकारियों को ही गिरफ्तार कर लिया था और उन्हें पूछताछ करने से भी रोक दिया था.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने राजीव कुमार के घर पर छापे को बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना दिया था और मोदी सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गईं थी. कई दिनों तक यह ड्रामा लगातार चला था. विवाद बढ़ने के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए सीबीआई को उनसे किसी न्यूट्रल जगह पर पूछताछ की इजाजत दे दी थी. इसके बाद यह विवाद शांत हुआ था.
हालांकि बाद में केंद्र सरकार ने राजीव कुमार को पुलिस कमिश्नर के पद से हटाकर सीआईडी में उनकी नियुक्ति कर दी थी. लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद चुनाव आयोग ने उन्हें सीआईडी से हटाकर गृह मंत्रालय वापस भेज दिया था.