इंडिया टुडे के सालाना कॉन्क्लेव का आज दूसरा दिन है. इस कॉनक्लेव में बदलाव की चुनौतियां पर चर्चा हो रही है. कल की ही तरह आज भी कई हस्तियां इस सम्मेलन में अपने विचार रखेंगी. पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ आज मुख्य अतिथि हैं.
इंडिया टुडे कॉनक्लेव की शुरूआत धार्मिक नेता दलाई लामा के भाषण से हुई. उन्होंने अपने भाषण में कहा कि पिछले 50 वर्षों से भारत मेरा आध्यात्मिक घर है. हमें यहां से काफी कुछ सीखने को मिला. उन्होंने कहा कि दुनिया में हो रहे बदलाव को अब कोई ताकत नहीं रोक सकती.
दलाई लामा के बाद कॉनक्लेव में अपने विचार रखने आए भारत के विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश का नेतृत्व संभालने के लिए दूरदर्शिता का होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि आतंकवाद पूरे विश्व के लिए खतरा है. इससे निपटने के लिए पूरे विश्व को एकजूट होना होगा.
अर्थशास्त्री नौरेल रुबीनी इंडिया टुडे कॉनक्लेव में भाषण देने के लिए खड़े हुए तो हॉल में सन्नाटा छा गया था. हर सुनने वाला ये जानना चाहता था कि आंकड़ों के आकलन का ये जादूगर क्या आर्थिक मंदी के बादल छंटने का संदेश सुनाएगा. लेकिन रुबीनी के पास बुरी खबर ज्यादा थी और अच्छी कम.
इंडिया टुडे कॉनक्लेव में नौरेल रुबीनी ने ये भी साफ कर दिया कि दुनिया की अर्थव्यवस्था आपस में इतनी जुड़ चुकी है कि भारत और चीन अपने दम पर इसका मुकाबला नहीं कर सकते. दोनों को मंदी से बिगड़ते हालात सुधरने का इंतजार करना ही होगा. जाहिर है कि रुबीनी के ये दावे भारत के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं, क्योंकि सरकार लगातार ये दावे कर रही है कि मंदी के इस दौर का असर भारत पर ज्यादा नहीं पड़ेगा.