अगले दो दिनों तक पूरे भारत की रफ्तार थम जाएगी. ऐसा दावा किया है मजदूर संगठनों ने. सरकार से बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद देश के करीब दस करोड़ कर्मचारी अगले 48 घंटे के लिए हड़ताल पर जा रहे हैं. इससे बैंक से लेकर उद्योग धंधे तक ठप होने की आशंका है.
पहले से ही चरमराई अर्थव्यवस्था को दो दिनों की इस हड़ताल से 20 हज़ार करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका है. सरकार से ट्रेड यूनियनों की बातचीत फेल होने के बाद अब ये तय हो गया कि अगले दो दिनों तक देश के 11 मजदूर संगठनों से जुड़े कर्मचारी काम पर नहीं आएंगे.
मजदूर संगठनों ने दस मांगे सरकार के सामने रखी थीं. जिनमें महंगाई रोकने, रोजगार के अवसर बढ़ाने, सरकारी संस्थाओं में विनिवेश रोकने और श्रम कानून लागू किए जाने की मांगें अहम हैं. बातचीत बेनतीजा होने के बाद भी सरकार की ओर से केंद्रीय श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे मजदूर यूनियनों से गुजारिश कर रही है कि वो हड़ताल पर न जाएं.
सरकार के भरोसे पर मजदूर यूनियनों को ऐतबार नहीं. सरकार के साथ हुई बैठक में वित्त मंत्री की गैरमौजूदगी उन्हें बुरी तरह खल गयी है. भारतीय मज़दूर संघ के महासचिव बीएन राय सरकार हमारी मांगों को लेकर गंभीर ही नहीं...कल की मीटिंग में वित्त मंत्री ही नहीं आये.
इस हड़ताल में देश के 10 लाख बैंक कर्मचारी भी शामिल हो रहे हैं. यानि अगले दो दिनों तक किसी भी सरकारी बैंक में कामकाज नहीं हो सकेगा. इस हड़ताल का सीधा असर बैंकिंग, इंश्योरेंस, इनकम टैक्स, टेलीकॉम, पोस्टल, तेल और गैस सेक्टर के कामकाज पर पड़ेगा.
मजदूर यूनियरों की हड़ताल में राइट और लेफ्ट सरकार के खिलाफ एक साथ खड़े नजर आ रहे हैं. इस आंदोलन को बीजेपी, शिवसेना और वामपंथी दलों समेत कई विपक्षी दलों का समर्थन हैं. शिवसेना ने तो सोमवार को ही मुंबई में मजदूरों के समर्थन में एक रैली भी निकाली थी.
तैयारी है पूरे देश को ठप करने की. ऐलान ये कि मंगवार से ना तो सरकारी दफ्तरों में काम काज होगा, ना ही बैंकों में पैसों का लेनदेन. दावा ये कि सड़क पर दौड़ रही गाड़ियां भी कल ढूंढे नजर नहीं आएंगी, न ऑटो रिक्शा मिलेंगे और ना ही बस. सरकारी टेलीफोन की घंटी भी शायद कल घनघना न पाए औऱ चिट्ठियों का इंतजार तो ना ही कीजिए तो बेहतर है, क्योंकि टेलीफोन और पोस्ट ऑफिस के कर्मचारी भी इस हड़ताल में शामिल हो रहे हैं. ऐलान किया जा रहा है कि कल तेल कंपनियों पर भी ताला जड़ा होगा. यानि सीधी तैयारी है देश की रफ्तार थामने की.
नेशनल ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ बैंक वर्क्स के ऑल इंडिया जनरल सेक्रेटरी अश्विनी राणा ने कहा कि बैंक भी अपनी मांग को लेकर इस हड़ताल में शामिल हो रहे हैं.
हड़ताल से कारोबार जगत में भी हड़कंप है. दो दिनों में अरबों रुपए के नुकसान की आशंका ने उनकी नींद उड़ा दी है. ऐसोचैम सेक्रेटरी जनरल डीएस रावत ने बताया कि इस हड़ताल से 15 से 20 हज़ार रुपये का नुकसान होने का अनुमान है.
केंद्र सरकार की ट्रेड यूनियनों से बातचीत फेल हो चुकी है. अब तमाम राज्य सरकारें हड़ताल को बेअसर बनाने की कवायद में जुटी हैं. दिल्ली में डीटीसी कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गयीं हैं ताकि सारी बसें सड़क पर दौड़ सकें.
मुंबई में बेस्ट की बसें तो सारी सड़क पर होंगी हीं, उपर से रेल कर्मचारियों के इस हड़ताल में शामिल नहीं होने से मुंबई की लाइफ लाइन रेलवे पर कोई असर नहीं होगा. मुंबई के एक बड़े यूनियन के हड़ताल में शामिल न होने से भी मुंबई वालों को बड़ी राहत रहेगी.
कोलकाता में भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तमाम कारखानों और सरकारी दफ्तरों और सार्वजनिक वाहनों को सुचारू रूप से काम करने के आदेश दिए गए हैं.